शनिवार, 5 नवंबर 2022

आज का पंचांग : 6 नवंबर, पढ़ें! दैनिक जनजागरण न्यूज

                      वैदिक पंचांग 
  
      (( *दिल्ली N. C. R.*)) 
🌤️ दिनांक - ६ नवंबर २०२२
🌤️ दिन - रविवार
🌤️ विक्रम संवत - २०७९ (गुजरात २०७८) 
🌤️ शक संवत - १९४४
🌤️ अयन - दक्षिणायने (दक्षिणगोले) 
🌤️ ऋतु - हेमंत ॠतु
🌤️ मास - कार्तिक मास
🌤️ पक्ष - शुक्ल पक्ष
🌤️ तिथि - त्रयोदशी १६/२८ तक तत्पश्चात चतुर्दशी
🌤️ नक्षत्र - रेवती २४/३ तक तत्पश्चात  अश्विनी
🌤️ योग - वज्र २३/४८ तक  तत्पश्चात सिद्धि
🌤️ राहुकाल - १६/३० से १८/०० तक
💥 सूर्योदय - ०६/४१
💥 सूर्यास्त - १७/२९
👉 *चं.मेष २४/३, जैनदिवाकरचौथज. वैकुण्ठ चतुर्दशी, विशाखारवि २०/२८, पंचक समाप्त २४/३, विशाखा बुध:  १५/२०, स.सि.योग २४/३ से, रवियोग २०/२८ तक, पुन: २४/३ से ||*
👉  दिशाशूल -पश्चिम दिशा में
🚩 *व्रत पर्व विवरण-* वैकुंठ चतुर्दशी |
🔥 *विशेष -* त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। 
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः २७.२९-३४)*

👉 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः २७.२९-३८)*

👉 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः ७५.९०)*

👉 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।
*(पुराण, श्रीकृष्ण खंडः ७५)*

👉 स्कन्द पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्म हत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।

   ✳️ *~वैदिक पंचांग ~* ✳️

🌷 *वैकुंठ चतुर्दशी के दिन सुख समृद्धि बढ़ाने* 
👉 ६ नवम्बर २०२२ रविवार को (वैकुण्ठ चतुर्दशी उपवास) ७ नवम्बर, सोमवार को वैकुण्ठ (चतुर्दशी पूजन)  है |
👉  देवीपुराण के अनुसार इस दिन जौ के आटे की रोटी बनाकर माँ पार्वती को भोग लगाया जाता है और प्रसाद में वो रोटी खायी जाती है | माँ पार्वती को भोग लगाकर जौ की रोटी प्रसाद में जो खाते है उनके घर में सुख और संम्पति बढती जायेगी, ऐसा देवीपुराण में लिखा है | वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन अपने-अपने घर में जौ की रोटी बनाकर माँ पार्वती को भोग लगाते समय ये मन्त्र बोले –
🌷 *ॐ पार्वत्यै नम:*
🌷 *ॐ गौरयै नम:*
🌷 *ॐ उमायै नम:*
🌷 *ॐ शंकरप्रियायै नम:*
🌷 *ॐ अम्बिकायै नम:*

👉  माँ पार्वती का इन मन्त्रों से पूजन करके जौ की रोटी का भोग  लगायें, फिर घर में सब रोटी खायें | जौ का दलिया, जौ के आटे की रोटी खानेवाले जब तक जियेंगे तब तक उनकी किडनी बढ़िया रहेंगी, किडनी कभी ख़राब नहीं होगी | शरीर में कही भी सूजन हो किडनी में सूजन, लीवर में सूजन, आतों में सूजन है तो जौ की रोटी खायें, इससे सब तकलीफ दूर हो जाती है |

   ✳️ *~ वैदिक पंचांग ~* ✳️

🌷 *ग्रहण में क्या करें, क्या न करें* 
🌘 चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। श्रेष्ठ साधक उस समय उपवास पूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके *ॐ नमो नारायणाय* मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहण शुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है।
🌘 सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक *अरुन्तुद नरक* में वास करता है।
🌘 सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (१२ घण्टे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (९) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घण्टे) पूर्व तक खा सकते हैं।
🌘 ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
🌘 ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अन्त तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
🌘 ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।
🌘 ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
🌘 ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
🌘 ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए। ग्रहण के स्नान में गरम जल की अपेक्षा ठण्डा जल, ठण्डे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और
गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है।
🌘  ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मन्दों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
🌘 ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।
🌘 ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
🌘 ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सुअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
🌘 तीन दिन या एक दिन उपवास करके स्नान दानादि का ग्रहण में महाफल है, किन्तु सन्तान युक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।
🌘 भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- 'सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया  पुण्यकर्म (जप, ध्यान,दानआदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्र ग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्य ग्रहण में दस करोड़ गुनाफलदायी होता है।
🌘 ग्रहण के समय गुरुमन्त्र, इष्ट मन्त्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
🌘 ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। 
*(स्कन्द पुराण)*
🌘 भूकम्प एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहींचाहिए।
*(देवी भागवत)*
🌘 अस्त के समय सूर्य और चन्द्रमा को रोगभय के कारण नहीं देखना चाहिए।
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण जन्म खं. ७५.२४)*

🌷 *भारत में दृश्य खग्रास चन्द्र ग्रहण*

       तारीख ८ नवम्बर २०२२ कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा में खग्रास चन्द्रग्रहण मंगलवार को भारतीय स्टैं. समयानुसार १४/३९ बजे से १८/१९ बजे तक रहेगा | बिहार, बंगाल, उड़ीसा तथा पूर्वोत्तर भारत में खग्रास तथा शेष भारत में खण्डग्रास रूप में ही चन्द्रोदय के समय पर ग्रसा हुआ ही दिखाई देगा | 
        इस ग्रहण को उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एशिया, उत्तरी अटलांटिक सागर, पेसिफिक सागर, पश्चिमी अर्जेन्टीना, चीनी, बोलिविया, पश्चिमी ब्राजील, चीन, पूर्वीरूस, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार, फिजी, थाईलैंड, जापान, आदि देशों में भी देखा जा सकेगा |
🌷 *सूतक--* ८ नवम्बर २०२२  मंगलवार में प्रातः ८/२९ से प्रारम्भ हो जायेंगी | सूचकों में बाल, वृद्ध, रोगी, आसक्त जनों को छोड़कर अन्य किसी को भोजन श्यनादि नहीं करना चाहिए | 

🌷 *विशेष ध्यान रखने योग्य--*
    उदर में जिन स्त्रियों के शिशु पल रहे हों उन्हें ग्रहणजन्य सूतक दोष के समय धारदार चाकू-छुरी से फल, सब्जी इत्यादि नहीं काटने चाहिए |श्यनादि से बचे रहें, ईश्वर आराधना में समय का सही उपयोग करें ||

*ग्रहण फल-* वृष, सिंह, कन्या, तुला राशियों को मध्यम फल | शेष राशियों को शुभ व श्रेष्ठ रहेगा |

                              साभार
                   पंडित रामजी लाल गौड़
       🌷श्री भृगु ज्योतिष रिसर्च केन्द्र सूरजपुर🌷
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