गंगा व गोमती की बाढ़ ने घुमंतू पशुओं की बढ़ाई परेशानी, पेड़ों पर ठौर लेने को विवश हैं राष्ट्रीय पक्षी तो मैदानों में भाग रहे पशु
सिधौना गंगा व गोमती नदियां इस समय भले ही घटाव पर हैं, लेकिन अब भी खतरे के निशान से उपर बहने के कारण उफान पर ही हैं। ऐसे में गंगा और उसकी सहायक नदी गोमती अपने तराई इलाके सहित तटवर्ती गांवों में अपना कहर बरपा रही हैं। इन नदियों की बाढ़ से सबसे अधिक परेशानी घुमंतू पशुओं को भी हो रही है। नदी किनारे के पूरे इलाके में पानी ही पानी भरा हुआ है। जिससे नीलगाय सहित खेतों में घूमने वाले गोवंश आदि को मैदानी इलाकों की ओर शरण लेनी पड़ रही है। ऐसे में सड़कों पर गाड़ियों से टकराने के खतरे व गांवों से भगाए जाने के डर से घुमंतू पशु दर-दर भटक रहे हैं। अधिकांश पशु नदियों का इलाका छोड़कर मैदानी भाग में चले गए हैं। गोमती किनारे बहुतायत संख्या में रहने वाले राष्ट्रीय पक्षी मोर पेड़ों की शरण लिए हुए है। इसी के साथ सियार, लोमड़ी, साही, खरगोश आदि जानवरों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। इन जानवरों को छिपने की जगह और खाने पीने की समस्या भी बढ़ गई है। अक्सर झुंड में घूमने वाले नीलगाय अकेले ही इधर-उधर भटक रहे हैं। जिससे परिस्थितिवश ये और भी उग्र हो सकते हैं। वहीं बाढ़ से जलीय जीव-जंतु सहित सांपों से आमजन ज्यादा भयभीत है। बाढ़ प्रभावित गांवों में बड़ी संख्या में सांप निकलने से लोग डरे हुए हैं। ऐसे में सैदपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन की अधिक संख्या में उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। सीएचसी अधीक्षक डॉ. एसके सिंह ने बताया कि एएसवी की उपलब्धता है।
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