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मंगलवार, 15 जुलाई 2025

स्कूल मर्जर : यूपी में 5 हजार स्कूल बंद करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, 3.5 लाख छात्रों के भविष्य पर सवाल

यूपी में 5 हजार स्कूल बंद करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, 3.5 लाख छात्रों के भविष्य पर सवाल

उत्तर प्रदेश में 5 हजार सरकारी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की.सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का भरोसा देते हुए कहा कि हालांकि यह सरकार का नीतिगत मामला है. याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप यादव ने कोर्ट से इस संवेदनशील मामले पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया.उत्तर प्रदेश में 70 से कम छात्र संख्या वाले 5 हजार सरकारी प्राथमिक स्कूलों को बंद करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के निर्णय को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया कि सरकार के इस कदम से राज्य में 3 लाख 50 हज़ार से ज़्यादा छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई का भरोसा देते हुए कहा कि हालांकि यह सरकार का नीतिगत मामला है. याचिकाकर्ता के वकील  प्रदीप यादव ने कोर्ट से इस संवेदनशील मामले पर शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया.पिछले हफ्ते सोमवार सात जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को राहत देते हुए 5,000 स्कूलों के मर्जर के फैसले को हरी झंडी दिखा दी थी. कोर्ट ने सरकार के 16 जून 2025 के शासनादेश की अधिसूचना के खिलाफ सीतापुर और पीलीभीत के 51 छात्रों की याचिका खारिज कर दी. अधिसूचना के मुताबिक राज्य के दूरदराज में स्थित जिन सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में 70 या इससे कम छात्र हों उनका आसपास के अन्य विद्यालयों में विलय कर दिया गया.याचिका के मुताबिक सरकार अब विलीन होने वाले विद्यालयों के छात्रों को एकीकृत विद्यालय में दाखिला लेने का दबाव भी बना रही है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ में जस्टिस पंकज भाटिया की एकल जज पीठ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सीतापुर के 51 बच्चों ने सरकार की स्कूल मर्ज नीति के खिलाफ याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने सरकार के पक्ष से सहमति जताते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी.

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