"मानवता के पक्ष में", रेडक्रॉस लखीमपुर खीरी ने नवभारत पब्लिक स्कूल में रचा संवेदना और संकल्प का नया अध्याय
लखीमपुर खीरी। जब संवेदना संग संगठित हो, और सेवा को लक्ष्य बना लिया जाए, तो जन्म होता है रेडक्रॉस जैसी संस्था का, जो न केवल मानवता की रक्षा करती है, बल्कि हर संकट की घड़ी में आशा की रोशनी बनकर उभरती है। इसी उजाले को और अधिक प्रखर बनाने के उद्देश्य से रेडक्रॉस खीरी द्वारा नवभारत पब्लिक स्कूल में विश्व रेडक्रॉस दिवस "मानवता के पक्ष में" थीम के साथ एक उल्लासमयी, प्रेरणादायी समारोह में मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और माता सरस्वती एवं रेडक्रॉस के जनक सर जीन हेनरी ड्यूनाट के चित्रों पर माल्यार्पण के साथ हुआ, जैसे ज्ञान और सेवा का संयोग स्वयं साक्षात हो उठा हो। रेडक्रॉस खीरी के चेयरमैन डॉ. रवींद्र शर्मा ने जब आपदा की घड़ी में होने वाली मॉक ड्रिल, प्राथमिक उपचार, सायरन की पहचान और आत्म-सुरक्षा की बात कही, तो हर छात्र की आंखों में एक सच्चे स्वयंसेवक की झलक उभर आई। उनके शब्दों में अनुभव की गहराई थी, और चेतना की चिंगारी भी।
डॉ. रवींद्र नाथ, वाइस चेयरमैन रेडक्रॉस खीरी, ने जब जीन हेनरी ड्यूनाट के जीवन संघर्ष और उनके भीतर जलती करुणा की ज्वाला का चित्र खींचा, तो सभा में सन्नाटा भी प्रेरणा से गूंज उठा। ड्यूनाट केवल एक नाम नहीं, एक विचारधारा बनकर उपस्थित थे। विद्यालय के प्रबंध निदेशक एस. एस. कंबोज ने भावभीने शब्दों में कहा रेडक्रॉस वह दीपक है, जो दूसरों के अंधेरे में जलकर राह दिखाता है, और स्वयं राख हो जाना भी स्वीकार करता है। उनकी बातों में सेवा का आदर्श और नेतृत्व की ऊष्मा थी। रेडक्रॉस आजीवन सदस्य राममोहन गुप्ता ने युद्धकालीन ब्लैकआउट की गंभीर तैयारी से छात्रों को परिचित कराया, जबकि एडवोकेट आर्येंद्र पाल सिंह ने अपने प्रेरक संचालन से छात्रों के हृदय में सेवा की चिंगारी सुलगा दी। कार्यक्रम में उपस्थित रमेश चंद्र गुप्ता, दीपक धवन, नारायण सेठ, और पवन शर्मा जैसे वरिष्ठजनों ने भी रेडक्रॉस के कार्यों को युग की ज़रूरत बताते हुए सराहा।
आरती श्रीवास्तव और उनकी समर्पित टीम बबिता सक्सेना, मनोज श्रीवास्तव, शशांक शुक्ला, अनुराग सक्सेना, सुनीता सिंह ने मॉक ड्रिल के ज़रिए CPR, स्ट्रेचर निर्माण और घायलों के सुरक्षित ट्रांसपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान देकर सच्ची शिक्षा दी।
कार्यक्रम के समापन पर विद्यालय परिवार द्वारा सभी रेडक्रॉस पदाधिकारियों को स्मृति-चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। वहीं रेडक्रॉस टीम ने विद्यालय के प्रमुख पदाधिकारियों को रेडक्रॉस प्रतीक चिन्ह प्रदान कर आपसी सम्मान की परंपरा को सशक्त किया। वाइस प्रिंसिपल लवकेश शर्मा ने रेडक्रॉस टीम के कार्यों को अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक बताते हुए आभार व्यक्त किया। करीब 1500 छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में यह आयोजन केवल कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन था संवेदना का, समर्पण का, और साहस का। कुलमिलाकर रेडक्रॉस दिवस की कहानी हमें सिखाती है जब भी मानवता पुकारे, तो हमारे हाथों में राहत हो, मन में ममता और हृदय में एक ही संकल्प हो 'सेवा ही धर्म है'।
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