लखीमपुर। शिक्षा की नींव जितनी गहरी, समाज का भविष्य उतना ही उज्जवल। इसी भावभूमि पर विद्या भारती अवध प्रांत द्वारा आयोजित प्रांतीय शिशु वाटिका प्रशिक्षण वर्ग दिनांक 23 मई से 30 मई 2025-26 तक आयोजित सात दिवसीय ज्ञान, साधना और संस्कार का अविरल संगम बनकर उभरा।
इस भावपूर्ण प्रशिक्षण वर्ग में अवध प्रांत के 13 जनपदों से आईं 89 प्रशिक्षार्थी बहिनों ने सहभागिता की, जिन्होंने बाल्यावस्था की शिक्षा को राष्ट्र निर्माण की नींव मानते हुए दिन-रात समर्पण भाव से प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रत्येक दिवस का आरंभ हवन-पूजन व सांस्कृतिक आचरण से हुआ, जिसके उपरांत दिनभर चलने वाले छह वैचारिक व गतिविधि-प्रधान सत्रों में बहनों ने गहन अध्ययन व अभ्यास किया। वर्ग का उद्घाटन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचंद्र ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन कर किया। अपने प्रेरणास्पद संबोधन में उन्होंने पंचकोशीय विकास की व्याख्या करते हुए बताया कि बालक के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आत्मिक और आध्यात्मिक विकास को समग्र रूप में समझे बिना शिक्षा अधूरी है। प्रत्येक दिन के वैचारिक सत्रों में प्रान्तीय निरीक्षक श्रीराम सिंह ने शिक्षा द्वारा समाज परिवर्तन का दर्शन प्रस्तुत किया, जबकि काशी प्रांत निरीक्षक शेषधर ने "प्रशिक्षण क्यों?" पर मार्मिक प्रकाश डाला। अखिल भारतीय शिशु वाटिका सह-संयोजिका नम्रता दत्त ने भाषा विकास, समग्र बालक विकास व समय पत्रक की व्याख्या विभिन्न खेलों, गीतों व रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से की। क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय ने बारह शैक्षिक व्यवस्थाओं को सहज संवाद शैली में समझाया, वहीं श्री दिनेश कुमार सिंह जी ने पंचपदी शिक्षण पद्धति व प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल पर प्रकाश डाला। विशेष सत्रों में शिप्रा वाजपेयी (प्राचार्या, सरस्वती बालिका विद्यालय) ने सोलह संस्कार, डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह ने एल.टी.एम. निर्माण तथा अरविंद सिंह चौहान ने बालक की स्वाभाविक विशेषताओं पर मनोवैज्ञानिक विवेचना प्रस्तुत की। क्रिया आधारित शिक्षण में हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, गीत, कहानी, कौशल विकास आदि के नवाचारों को प्रस्तुत किया गया। थ्री-डी मुखौटा निर्माण, परंपरागत खेलों का अभ्यास, और पीपीटी प्रस्तुति जैसे अनुभवों ने बहनों के भीतर शिक्षण की नयी दृष्टि विकसित की। समापन सत्र में भारतीय शिक्षा परिषद, अवध प्रांत के उपाध्यक्ष विमल अग्रवाल ने प्रशिक्षण की भूमिका रेखांकित करते हुए प्रशिक्षार्थियों के अनुभव साझा कराए। रविभूषण साहनी (प्रबंधक, सनातन धर्म सरस्वती शिशु वाटिका) ने आशीर्वचन स्वरूप धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का समापन कल्याण मंत्र के साथ हुआ। प्रबंध व्यवस्था का दायित्व मुनेंद्र दत्त शुक्ला एवं बहिन रजनी कपूर ने निष्ठापूर्वक निभाया।
समस्त प्रशिक्षण कार्यक्रम का कुशल संचालन एवं दिशा-निर्देशन हीरा सिंह (संचालिका, सनातन धर्म सरस्वती शिशु वाटिका एवं सह क्षेत्रीय प्रमुख) के नेतृत्व में संपन्न हुआ। यह सात दिवसीय आयोजन केवल एक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि संस्कार, शिक्षा और साधना का संगम बनकर उभरा, जिसने यह सिद्ध किया कि नव निर्माण की जड़ें शिशु शिक्षा में हैं, और उसे सींचने वाली शिक्षिका ही भविष्य की निर्माता है।
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