त्रिशताब्दी की वेला पर अमर गाथा के साथ नैमिष प्रांत ने किया वीरांगना अहिल्याबाई होलकर का यशगान
लखीमपुर। नैमिष प्रांत की पुण्यभूमि पर, भारतमाता की एक तेजस्विनी पुत्री, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्मशती का प्रेरणादायी आयोजन गुरु नानक विद्या सभा बालिका इंटर कॉलेज लखीमपुर में भावपूर्ण श्रद्धांजलि स्वरूप संपन्न हुआ। इस भव्य समारोह में देश की सांस्कृतिक विरासत और नारी सशक्तिकरण के प्रतीक स्वरूप लोकमाता के यशस्वी जीवन का गुणगान किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन के साथ भारतमाता, स्वामी विवेकानंद तथा लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के चित्रों के समक्ष हुआ। वातावरण में "वन्दे मातरम्" की गूंज ने देशप्रेम की भावना को जाग्रत कर दिया। मुख्य अतिथि एवं वक्ता, सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज की प्राचार्या शिप्रा बाजपेई ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में अहिल्याबाई के जीवन की महानता, उनकी न्यायप्रियता, सेवा भावना और प्रजावत्सलता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार एक साधारण गृहिणी से लेकर एक असाधारण शासिका बनने तक अहिल्याबाई ने अपने कर्तव्यों का समुचित पालन कर, नारीशक्ति की अमर मिसाल पेश की। विशिष्ट अतिथि डॉ0 राजवीर सिंह (क्षेत्रीय गतिविधि संयोजक सम्पर्क) सहित अन्य विद्वान वक्ताओं एडवोकेट रमेश कुमार वर्मा, दयानंद शुक्ल, रघुनंदन झा आदि ने भी अपने विचारों से सभा को गौरवान्वित किया। उनके वक्तव्यों में इतिहास की गहराई और भावनाओं की ऊंचाई स्पष्ट झलकती रही। कार्यक्रम की गरिमा को और ऊंचाइयों तक पहुँचाया नैमिष प्रांत के विभिन्न पदाधिकारियों की उपस्थिति ने।
इनमें प्रांतीय अध्यक्ष रमेश कुमार वर्मा (एडवोकेट), प्रांतीय महासचिव डॉ. प्रदीप कुमार गुप्ता, प्रांतीय उपाध्यक्ष नरेश वर्मा, प्रांतीय संस्कार संयोजक शशिकांत श्रीवास्तव, स्वास्थ्य प्रकल्प प्रमुख ऋतुराज बाजपेई, योग एवं नशा मुक्ति प्रमुख रामबहादुर मित्रा व छोटेलाल, संस्कृति शाखा अध्यक्ष एडवोकेट आर्येंद्र पाल सिंह, विवेकानंद शाखा अध्यक्ष अनिता निगम, रीना गुप्ता, मंजू मनार, मुकेश सक्सेना आदि सम्मानीय सदस्यगण प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अत्यंत कुशलता से डा. नमिता श्रीवास्तव, प्रांतीय गतिविधि संयोजक महिला सहभागिता ने किया। उनकी संयोजन क्षमता एवं मंच संचालन ने संपूर्ण कार्यक्रम को एक सूत्र में पिरोया। समारोह के अंत में एडवोकेट विपुल सेठ ने सभी अतिथियों का हृदय से आभार व्यक्त किया। भावपूर्ण राष्ट्रगान के साथ यह ऐतिहासिक आयोजन पूर्ण हुआ, किंतु लोकमाता के प्रेरक जीवन की गूंज उपस्थित जनमानस में देर तक प्रतिध्वनित होती रही। कुलमिलाकर इस आयोजन ने यह पुनः सिद्ध कर दिया कि अहिल्याबाई होल्कर जैसी विभूतियाँ युगों-युगों तक समाज को प्रेरणा देती रहेंगी। उनकी स्मृति न केवल इतिहास का गौरव है, अपितु वर्तमान की ऊर्जा और भविष्य का पथप्रदर्शन भी।
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