Breaking

शनिवार, 3 मई 2025

Lmp. कस्तूरबा विद्यालय में सीडीओ अभिषेक कुमार का औचक निरीक्षण बना चेतावनी की मिसाल

🔘 बेटियों की शिक्षा से समझौता नहीं!

लखीमपुर खीरी, 3 मई। जहाँ शिक्षा केवल पठन-पाठन नहीं, बल्कि भविष्य गढ़ने की प्रयोगशाला है, वहाँ यदि जिम्मेदारी से मुँह मोड़ा जाए, तो सख्ती अपरिहार्य हो जाती है। शनिवार को मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक कुमार ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय, मोहम्मदी का जब अचानक निरीक्षण किया, तो लापरवाही और शिथिलता की परतें खुलती चली गईं।
शिक्षिका प्रतिभा द्विवेदी की तीन-चार माह की अनुपस्थिति, बिना सूचना और उत्तर के, यह दर्शा रही थी कि वे सेवा नहीं, सुविधा का निर्वाह कर रही थीं। पहले भी नोटिस देकर चेताया गया, मगर जब सुधार नहीं हुआ, तो सीडीओ ने बिना देर किए सीधी सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया। यह निर्णय नहीं, यह संदेश था, बेटियों की शिक्षा से खेलने वालों के लिए कोई स्थान नहीं। इसी प्रकार, CL अवकाश के बाद से लापता शिक्षिका अनीता गंगवार को भी सेवा समाप्ति की नोटिस देने के निर्देश जारी हुए। ये कार्रवाइयाँ यह सिद्ध करती हैं कि अब "कर्मठता" ही नियुक्ति का आधार बनेगी, अनदेखी नहीं। निरीक्षण में सामने आया कि लाखों की लागत से बना नया शैक्षणिक ब्लॉक और छात्रावास बाउंड्री वॉल के अभाव में उपयोग में नहीं लाया गया। नतीजा छात्राएं अब भी पुराने, सीमित संसाधनों वाले भवन में पढ़ रही हैं। सीडीओ ने तत्क्षण बीडीओ को निर्देशित किया कि क्षेत्र पंचायत निधि से बाउंड्री वॉल का कार्य तत्काल शुरू कराया जाए। उन्होंने साफ कहा बेटियाँ केवल ईंट-पत्थर की सुरक्षा नहीं चाहतीं, वे विश्वास और संबल चाहती हैं। विद्यालय के उच्चीकरण के बाद भी शिक्षकीय पदों की स्वीकृति नहीं हुई थी। इस पर सीडीओ ने बीएसए को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे स्वयं शासन स्तर पर जाकर नए पदों की स्वीकृति के लिए तत्परता से कार्य करें। बेटियों की कक्षाएं खाली नहीं होनी चाहिए यह आदेश नहीं, एक सामाजिक संकल्प है। निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि कई सीसीटीवी कैमरे बंद पड़े थे। सीडीओ ने तत्काल वार्डेन को फटकारते हुए उन्हें आज ही कैमरे दुरुस्त कराने का निर्देश दिया और स्पष्टीकरण तलब किया। यह केवल तकनीकी लापरवाही नहीं थी, यह बेटियों की निगरानी में चूक थी, जिसे सीडीओ ने बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया। यह निरीक्षण केवल एक सरकारी प्रक्रिया नहीं था, यह वह चेतावनी थी, जो हर उस व्यवस्था के लिए है जो शिक्षा के नाम पर चुपचाप पतन को ओढ़े बैठी है। बेटियों की आँखों में भविष्य की जो चमक है, उसे धुंधला करने वाले अब सुरक्षित नहीं हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Comments