लखीमपुर खीरी, 17 मई। कलेक्ट्रेट स्थित अटल सभागार आज दीयों से नहीं, होनहारों की आँखों में टिमटिमाते सपनों से जगमगा उठा। मंच पर जब एक-एक कर प्रतिभाशाली छात्र-छात्राएं कदम रख रहे थे, तो ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो स्वयं मेहनत, लगन और उम्मीदें आकार लेकर चल रही हों। यह कोई साधारण दिन नहीं था, बल्कि एक ऐसे गौरव-पल की साक्षी बन रही थी यह धरती, जहाँ भविष्य के कर्णधारों को उनके परिश्रम और प्रतिभा के लिए सम्मानित किया गया।
मेधावी छात्र सम्मान समारोह 2025’ केवल एक आयोजन नहीं था, यह उस जुनून का उत्सव था जिसने नींदों की तिलांजलि देकर किताबों से दोस्ती की, जिसने तमाम सामाजिक बाधाओं को पार कर सफलता का सूरज छू लिया। कार्यक्रम में ज़िले के 27 सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थियों को सम्मानित करते हुए ज़िलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल, मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक कुमार, प्रशिक्षु आईएएस मनीषा और एएसडीएम अमिता यादव ने इन नन्हें सितारों के माथे पर मेडल पहनाए, गले में माला डाली और हाथों में स्मृति-चिह्न और प्रशस्तिपत्र सौंपे। इस क्षण में मानो पूरी खीरी की आत्मा इन बच्चों के साथ मुस्कुरा रही थी। डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने जब यह कहा, तो सभागार तालियों से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि इन छात्रों ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। सपनों को बड़ा रखिए, सोच को सकारात्मक, और मेहनत को अपना धर्म मानिए, उनके शब्दों ने विद्यार्थियों के मन में जैसे नई ऊर्जा भर दी। इस बीच सीडीओ अभिषेक कुमार ने कहा ये चेहरों की चमक केवल रैंक की नहीं, संघर्ष की रोशनी है। ये वे दीप हैं जिन्होंने अंधेरों को पढ़कर रोशनी पाई है। उन्होंने बच्चों को अपने अनुभवों से सिखाया कि समय की कद्र, अनुशासन और निरंतरता, ये तीन मंत्र जीवन को ऊँचाइयों तक ले जाते हैं। कार्यक्रम का संचालन डीआईओएस डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह ने किया, जिन्होंने कहा कि यह सम्मान समारोह केवल छात्रों का नहीं, बल्कि उन माता-पिता और गुरुजनों का भी अभिनंदन है जिन्होंने इन प्रतिभाओं को आकार दिया। आदित्य शंकर, मोनिका और मुनेश कुमार शुक्ल जैसे नाम अब सिर्फ अंक नहीं, प्रेरणा के प्रतीक हैं। वहीं इंटरमीडिएट में विपिन तिवारी, शिव बहादुर और राहुल ने संस्कृत की गरिमा को एक नई पहचान दी।
यूपी बोर्ड परीक्षा में अंजलि, यशी रस्तोगी, पीयूष, दिव्यांश, अंश, सृष्टि, अमन और शिवा इनके नाम अब खीरी के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गए हैं। इन बच्चों ने साधनों की सीमाओं के बावजूद सपनों की उड़ान भरी। वहीं सीबीएसई परीक्षा में अनन्या, सूर्यांश, संचेतना, अविरल, अपर्णा और शगुफ्ता, इनके उत्साह और दृढ़ता ने यह सिखाया कि बोर्ड कोई भी हो, मेहनत की भाषा एक होती है। सीआईएससीई परीक्षा में नील नंदन, मान्या, तेजस, प्रियांशी वर्मा, वैभवी और सोमिल जैसे छात्र अब केवल अपने परिवारों के नहीं, पूरे जनपद के गौरव हैं। कुलमिलाकर आज जिन बच्चों ने मंच पर सम्मान पाया, वे कल समाज के पथ-प्रदर्शक बनेंगे। उनकी आंखों में जो स्वप्न थे, आज वे उम्मीद बनकर जनपद की रगों में दौड़ रहे हैं। यह सम्मान उन किताबों का भी है जिनके पन्ने रात-रात जागकर पलटे गए। यह उन माँ-बाप के आँचल और कंधों का भी है, जिन्होंने बच्चों के सपनों को अपना संबल बनाया। पूरा जनपद खीरी आज गर्वित है, क्योंकि उसके आकाश में सितारे नहीं, सूरज उग रहे हैं।
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