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गुरुवार, 1 मई 2025

Lmp. पं0 दीनदयाल उपाध्याय सरस्वती विद्या मंदिर सबसे में खेल महोत्सव का भव्य आयोजन

🔘 कबड्डी के रणभूमि में जगे स्वप्न, सधे कदम : टैगोर व रामानुजन सदन बने गौरव के प्रतीक

लखीमपुर खीरी। पं0 दीनदयाल उपाध्याय सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज CBSE विद्यालय के प्रांगण में आज कोई साधारण दिन नहीं था। यह दिन था जज़्बे का, अनुशासन का, और आत्मविश्वास से ओतप्रोत नवयुवकों की पराक्रम गाथा लिखने का। कॉलेज में कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन मात्र एक खेल नहीं था, यह चरित्र निर्माण की प्रयोगशाला था।
सूर्य की प्रथम किरण जब मैदान को चूमने आई, तब चारों सदनों मालवीय, टैगोर, रामानुजन और विवेकानंद की टीमें आत्मबल, शौर्य और समर्पण के साथ मैदान में उतरीं। आंखों में स्वप्न थे, हृदय में गर्व और संकल्प था विजय का। हर स्पर्श, हर कदम, हर 'कबड्डी-कबड्डी' की गूंज एक विचार बनकर गूंज रही थी कि हम हारें या जीतें, हम लड़ेंगे ज़रूर। जूनियर वर्ग की प्रतियोगिता में टैगोर सदन के नन्हे योद्धाओं ने अद्वितीय सामंजस्य और स्फूर्ति का प्रदर्शन करते हुए प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ दिया। उनकी जीत न केवल स्कोरबोर्ड पर अंक थी, बल्कि उन मुस्कानों में छिपी थी जो उन्होंने आत्मविश्वास के साथ सजाई थीं। वहीं, सीनियर वर्ग में रामानुजन सदन ने अपनी गहराई और रणनीति से खेल को साधा। उनके हौसले ने दिखा दिया कि अभ्यास, अनुशासन और विश्वास इन तीन स्तंभों पर खड़ा होता है सच्चा खिलाड़ी। प्रतियोगिता का संचालन आचार्य रवि शुक्ला और आचार्य अविनाश दीक्षित ने पूर्ण निष्पक्षता और गरिमा के साथ किया। उनके नेतृत्व में प्रतियोगिता एक अनुकरणीय आयोजन बन गई। इस आयोजन का उद्घाटन वरिष्ठ आचार्यगण संजय द्विवेदी एवं मंजुल शुक्ल द्वारा किया गया, जिनके प्रेरणादायक शब्दों ने खिलाड़ियों में नई ऊर्जा का संचार किया। अंत में प्रधानाचार्य अरविन्द सिंह चौहान ने विजेता टीमों को शुभकामनाएं दीं और सभी प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा जीवन भी एक खेल है, जहाँ गिरकर उठना, थककर फिर चलना, और हारकर भी मुस्कराना ही सच्ची जीत होती है। उन्होंने यह भी संकल्प व्यक्त किया कि विद्यालय भविष्य में भी ऐसे आयोजनों के माध्यम से विद्यार्थियों को उनके चरित्र, नेतृत्व और आत्मबल से सज्जित करता रहेगा। आज का दिन विद्यालय के इतिहास में एक सुनहरा अध्याय बनकर अंकित हो गया जहाँ खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि संस्कार बन गया।

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