🔘 श्रम का सम्मान एक कृतज्ञ राष्ट्र की अभिव्यक्ति
लखीमपुर। जहाँ श्रम को सम्मान मिलता है, वहाँ सभ्यता मुस्कुराती है। इस विचार से ओतप्रोत बी.पी.एस. पब्लिक स्कूल में ‘श्रम शक्ति सम्मान उत्सव’ का आयोजन कुछ यूँ हुआ मानो शब्द स्वयं श्रम का वंदन करने लगे हों। विद्यालय प्रांगण में गूंजते तालियों के स्वर उस मौन तपस्विता का अभिनंदन कर रहे थे, जिनके हाथों में न कोई कलम होती है, न कोई ताज केवल श्रम की सोंधी महक होती है।
इस विशेष दिवस पर कक्षा नौ के विद्यार्थियों द्वारा एक भावपूर्ण प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया, जिसमें श्रमिकों के प्रति आभार व्यक्त किया गया। मंच पर जब छात्र-छात्राएँ कविता, गीत और नाटक के माध्यम से श्रम की महत्ता का गुणगान कर रहे थे, तब कई आँखें नम थीं, कृतज्ञता की भावना से भरी हुईं। कार्यक्रम में विद्यालय के सभी कर्मचारियों के लिए सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और क्रीड़ा प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। प्रतियोगिताओं में उमंग और उत्साह देखते ही बन रहा था। विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया, परंतु इस उत्सव की सबसे बड़ी जीत थी, वह मुस्कान, जो प्रत्येक श्रमिक के चेहरे पर सजी थी।
कार्यक्रम के समापन पर सभी कर्मचारियों को उपहार भेंट कर सम्मानित किया गया। इस स्नेहिल क्षण में, विद्यालय की प्रधानाचार्या नीलम अवस्थी ने कहा इन श्रमिकों की तपस्या ही है, जो हमारे जीवन को सुचारु बनाती है। इनके बिना कोई भी भवन, कोई भी संस्था, कोई भी व्यवस्था अधूरी है। हमारा दायित्व है कि हम न केवल इनका सम्मान करें, बल्कि इन्हें उनका हक और आत्मसम्मान भी सौंपें। यह आयोजन एक पर्व बन गया, संवेदना, कृतज्ञता और प्रेरणा का पर्व। विद्यार्थियों ने सीखा कि असली नायक वे होते हैं, जो पसीने से इतिहास रचते हैं, और समाज को बिना दिखे सहारा देते हैं।
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