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बुधवार, 7 मई 2025

"ऑपरेशन सिंदूर" : आतंक के अड्डों पर भारत का कड़ा प्रहार, दुश्मन के दिल में दहशत

नई दिल्ली/पहलगाम। पंद्रह दिन। केवल पंद्रह दिन। देश के सीने पर किए गए नृशंस प्रहार का भारत ने दिया लौह-प्रतिकार। 22 अप्रैल को कश्मीर की वादियों में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस दृढ़ निश्चय और संयम से प्रतिकार की तैयारी की, वह अब "ऑपरेशन सिंदूर" के नाम से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है।
बुधवार रात डेढ़ बजे, जब अधिकांश देशवासियों की आंखों में नींद थी, भारत की सेना और वायुसेना की आंखों में आग थी। एक आग जो बहावलपुर, मुरीदके, बाघ, कोटली और मुजफ्फराबाद में आतंकी अड्डों पर टूट पड़ी। यह कोई साधारण हवाई हमला नहीं था यह था संदेश, चेतावनी और न्याय का उद्घोष।

● निशाने पर आतंक, नहीं सेना :
भारतीय सेना ने स्पष्ट किया  यह हमला पाकिस्तान की सैन्य ठिकानों पर नहीं, बल्कि उन अड्डों पर हुआ, जहां आतंक पल रहा था, जहां से निर्दोषों के रक्त की साजिशें रची जा रही थीं। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर जैसे संगठनों के उन ठिकानों को चुन-चुन कर निशाना बनाया गया, जिन्होंने पहलगाम की घाटियों को शोकसंगीत में डुबो दिया था।

● पाकिस्तान में खलबली :
भारतीय प्रहार के बाद पाकिस्तान की मीडिया और सरकार से तीन अलग-अलग स्वर गूंजे। कोई कहता है मिसाइल हमले हुए, कोई कहता है फाइटर जेट गिरे, और कोई तोड़ता है झूठ के पुल  पर सच्चाई यही है कि बहावलपुर से लेकर मुजफ्फराबाद तक, खामोशी अब मातम की शक्ल ले चुकी है। स्थानीय अस्पतालों में अफरा-तफरी मची है, इंटरनेट बंद होने की आशंका जताई जा रही है ये संकेत हैं उस घबराहट के, जो भारत के संकल्प से उपजी है।

● अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया :

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे "शर्मनाक" कहा और कहा कि यह संघर्ष सदियों से चलता आ रहा है। पर भारत ने दिखा दिया  जब अन्याय असह्य हो जाए, तो सहिष्णुता भी शस्त्र उठा लेती है।

● पहलगाम की आग अभी ठंडी नहीं :

22 अप्रैल को, जब आतंकी राक्षसों ने धर्म पूछकर सैलानियों पर गोलियां बरसाईं, तब पूरा देश एक प्रश्न से थर्रा उठा  क्या अब भी चुप रहना उचित है? उत्तर था “नहीं।" 26 मासूम जिंदगियों की शहादत का प्रतिशोध अब "ऑपरेशन सिंदूर" बनकर आसमान से बरसा।

कुलमिलाकर भारत ने आज न केवल प्रतिकार किया है, बल्कि एक नया संदेश दिया है  यह नवभारत है, जो प्रहार सहता नहीं, करता है।

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