सायरन की आवाज बनेगी जनजागरण की पुकार : आत्म सुरक्षा की तैयारी है मॉक ड्रिल, हर नागरिक बनेगा राष्ट्र प्रहरी
भारत की सरज़मीं, जहां कभी वेदों की ऋचाएँ तो कभी रणभेरी का गुंजन....., आज फिर एक बार इतिहास की दहलीज़ पर खड़ी है। समय ने फिर करवट ली है। परिस्थितियाँ बदल रही हैं, और एक ऐसा दिन निकट है 7 मई 2025 जब समूचे भारत में 244 जिलों में एक साथ मॉक ड्रिल का आयोजन होगा। यह कोई साधारण प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि जनमानस को सजग और सशक्त करने का राष्ट्रव्यापी संकल्प है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला, जिसमें 26 निर्दोषों की जान गई, केवल एक घटना नहीं थी, वह एक चेतावनी थी। एक झंझावात जिसने सत्ता के गलियारों से लेकर गांव की चौपाल तक बेचैनी फैला दी। और अब, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का घना कुहासा मंडरा रहा है, केंद्र सरकार ने वह कदम उठाया है जो पिछली बार 1971 के युद्ध के दौरान उठाया गया था, जनता की रक्षा के लिए जनता को तैयार करना।
मॉक ड्रिल कोई नकली युद्ध नहीं, बल्कि वास्तविक संकट से पूर्व आत्मबचाव की वह कला है जो जीवन के हर नागरिक को आनी चाहिए। यह वह प्रशिक्षण है जहाँ सायरन बजते हैं, लाइटें बुझ जाती हैं, पर मन में चेतना जल उठती है।
जब रात के अंधेरे में ब्लैकआउट किया जाएगा, तो यह केवल बिजली की कटौती नहीं होगी, यह एक युग की स्मृति होगी, जब 1942 में कनाडा के वमैनिटोबा में ‘इफ डे’ हुआ था, जब 1952 में अमेरिका में बच्चों ने डक एंड कवर किया था, जब 1980 में ब्रिटेन ने स्क्वेयर लेग ड्रिल में परमाणु हमले की कल्पना कर तैयारी की थी। अब भारत अपनी कथा लिखने जा रहा है साहस, सतर्कता और संगठन की।
कल 7 मई को आकाशगंगा को चीरते सायरन लोगों को सावधान करेंगे, ब्लैकआउट की कालिमा में आशा की लौ जलेगी, लोग जानेंगे कि संकट की घड़ी में कहाँ छिपना है, कैसे बचना है, कैसे दूसरों की रक्षा करनी है, प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियाँ और नागरिक मिलकर युद्ध की संभावना से पहले शांति का अभेद कवच तैयार करेंगे।
पंजाब के सीमांत नगर फिरोजपुर छावनी में मॉक ड्रिल की रात आई। लाइटें बुझीं, सायरन गूंजे, पर कोई भय नहीं था। केवल अनुशासन था, तैयारी थी, और यह एहसास था कि अगर युद्ध आए, तो हम तैयार हैं। जब राष्ट्र स्वयं को तैयार करता है, तो वह केवल सेनाओं के भरोसे नहीं रहता, वह हर नागरिक को योद्धा बना देता है। यह मॉक ड्रिल उसी दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है। 1971 के बाद अब 2025 की मॉक ड्रिल एक संदेश है, भारत युद्ध नहीं चाहता, पर युद्ध थोपे जाने की स्थिति में वह अकेला नहीं, 130 करोड़ सजग नागरिकों के साथ खड़ा होगा।
कुलमिलाकर 7 मई का दिन आएगा और चला जाएगा, पर यदि इस दिन हमने आत्मसुरक्षा की समझ, अनुशासन की आदत और राष्ट्रप्रेम की लौ जगा ली, तो यह केवल एक दिन नहीं होगा, यह नई पीढ़ी का संस्कार दिवस बन जाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments