🔘 लखीमपुर की माटी से निकली रौशनी: यथार्थ की यथार्थगाथा
🔘 इरादों की लौ से जली आशा की मशाल: यूपीएससी में यथार्थ की चमक
🔘 भारत विकास परिषद एवं भारतीय अवधी समाज ने किया सम्मानित
लखीमपुर। कभी किसी छोटे शहर की तंग गलियों से निकलती एक तेज़ नज़र, एक शांत चेहरा और एक प्रखर स्वप्न देखा जाता है। वह स्वप्न था संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) जैसी कठिन परीक्षा में सफलता का, और वह चेहरा था यथार्थ दीक्षित का, जिन्होंने ऑल इंडिया रैंक 411 प्राप्त कर न केवल अपने माता-पिता, बल्कि संपूर्ण लखीमपुर को गौरवान्वित किया।
यह सफलता महज अंकों की बात नहीं, यह उस दृढ़ निश्चय की कहानी है जो समय की आंधियों में भी नहीं डगमगाया। भारतीय अवधी समाज, लखीमपुर ने इस महान उपलब्धि को मान देते हुए यथार्थ को ससम्मान सम्मानित किया। समाज के वरिष्ठ चिंतक डॉ. पी. के. गुप्ता ने कहा कि यह सम्मान केवल यथार्थ का नहीं, उस सोच का है जो कहती है अगर इरादे पवित्र हों और परिश्रम अडिग, तो कोई राह असंभव नहीं।
यथार्थ की सफलता की गूंज भारत विकास परिषद, नैमिष प्रांत तक पहुँची, जहाँ एक गरिमामय आयोजन में उन्हें “प्रेरणा-पुंज” की उपाधि दी गई। इस कार्यक्रम में प्रांतीय महासचिव डॉ. पी. के. गुप्ता, संस्कार शाखा अध्यक्ष अर्चना श्रीवास्तव एवं अनुश्री गुप्ता की उपस्थिति ने कार्यक्रम को भावनात्मक ऊँचाई प्रदान की।
सम्मान प्राप्त करते समय यथार्थ की आँखें नम थीं, वो नमी संघर्ष की तपिश में पसीने से नहीं, आत्मसंतोष की ठंडी बूँदों से बनी थी। उनके जीवन की राहें आसान नहीं थीं, लेकिन उन्होंने हर कठिन मोड़ को सीढ़ी बना लिया। आज यथार्थ दीक्षित एक व्यक्ति नहीं, एक विचार बन गए हैं। वह विचार, जो सिखाता है, सपनों की उड़ान किसी शहर की सीमाओं की मोहताज नहीं होती।
भारत विकास परिषद नैमिष प्रांत के महासचिव ने सम्मान कार्यक्रम के उपरांत एक अनौपचारिक बातचीत में कहा यह सफलता एक परीक्षा पास करने की कहानी नहीं है, यह नवभारत की चेतना, युवाओं की प्रेरणा और माँ भारती की सेवा का प्रथम चरण है। यथार्थ दीक्षित आज हर उस युवा के लिए एक उदाहरण हैं, जो सपने तो देखता है, पर संघर्ष की राह में थम जाता है। लखीमपुर की यह माटी धन्य है, जिसने ऐसा दीप जलाया है जो न केवल अपने घर को, बल्कि सम्पूर्ण समाज को आलोकित कर रहा है।
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