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मंगलवार, 13 मई 2025

आलेख - आधुनिक तकनीक के जरिए आतंक की नई चाल : पहलगाम हमले से सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल

आलेख: अनूप सिंह, संरक्षक दैनिक जनजागरण न्यूज़ | 13 मई 2025

जम्मू-कश्मीर के शांत और सुरम्य इलाके पहलगाम में हालिया आतंकी हमला केवल एक जघन्य कृत्य नहीं था, बल्कि यह भारत की सुरक्षा संरचना और तकनीकी खुफिया प्रणाली के सामने एक गंभीर चेतावनी भी है। इस हमले ने न सिर्फ कई निर्दोष जानें लीं, बल्कि देश को यह सोचने पर भी विवश कर दिया है कि क्या अब युद्ध के मोर्चे डिजिटल हो चुके हैं?

अब तक आतंकवाद की परिभाषा पारंपरिक थी — हथियार, घुसपैठ, प्रशिक्षण और सीमा पार से निर्देश। लेकिन अब, आतंकवादी संगठन तकनीक को एक नए हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल ही में ‘द प्रिंट’ द्वारा प्रकाशित एक चौंकाने वाली रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है कि अमेरिकी कंपनी Maxar Technologies ने पहलगाम और उसके आसपास के इलाकों की हाई-रेजोल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी एक पाकिस्तानी कंपनी Business Systems International Pvt. Ltd. को बेची, जिसका संबंध अमेरिकी-पाकिस्तानी दोषी व्यवसायी ओबैदुल्ला सैयद से है।

जब तकनीक का दुरुपयोग बन जाए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा

सैटेलाइट इमेजरी जैसी तकनीक सामान्यतः विकास, आपदा प्रबंधन और रणनीतिक योजना के लिए प्रयुक्त होती है, लेकिन आतंकवादी संगठनों द्वारा इसका उपयोग खतरनाक दिशा में बढ़ते रुझान का संकेत है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2 फरवरी से 22 अप्रैल 2025 के बीच बारामुल्ला, पुंछ, राजौरी, अनंतनाग और विशेषकर पहलगाम की अनेक हाई-रेजोल्यूशन छवियाँ कई बार खरीदी गईं।

इससे यह आशंका बलवती होती है कि इन तस्वीरों के माध्यम से आतंकवादियों ने हमले की बारीक योजना बनाई। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि तकनीक की वैश्विक पहुंच का लाभ अब विध्वंसकारी शक्तियों द्वारा भी उठाया जा रहा है।

भारत के सामने चुनौती और समाधान

भारत जैसे तकनीकी रूप से सशक्त देश के सामने यह घटना स्पष्ट करती है कि अब लड़ाई सिर्फ सरहदों पर नहीं, बल्कि डेटा और डिवाइस की दुनिया में भी लड़ी जा रही है। इस खतरे का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों और नीति-निर्माताओं को कई स्तरों पर सक्रिय होना होगा।

1. तकनीकी निगरानी का विस्तार: ISRO, DRDO और NTRO जैसी एजेंसियों को रीयल-टाइम सैटेलाइट मॉनिटरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित थ्रेट डिटेक्शन और डाटा एनालिटिक्स को अपनाकर खतरे की पूर्व सूचना विकसित करनी होगी।

2. डेटा एक्सेस पर वैश्विक नियंत्रण: भारत को संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और अन्य लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा संवेदनशील डाटा की बिक्री पर नियंत्रण के लिए वैश्विक नीति निर्माण का नेतृत्व करना चाहिए।

3. स्थानीय खुफिया और डिजिटल समन्वय: देश के आंतरिक खुफिया तंत्र को तकनीकी संसाधनों से जोड़कर गांव, कस्बों और सीमावर्ती क्षेत्रों तक व्यापक नेटवर्क बनाना जरूरी हो गया है।

4. साइबर आतंकवाद के विरुद्ध कठोर कानून: जब आतंकवादी डिजिटल हथियारों से लैस हों, तो सुरक्षा व्यवस्था को भी डिजिटल डिफेंस और न्याय प्रणाली को तेज़ और प्रभावी बनाना होगा। भारत को साइबर क्राइम और डिजिटल युद्ध नीति को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी।

भारत का जवाब: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ज़रिए सटीक प्रतिशोध

भारत सरकार ने पहलगाम हमले को केवल एक हादसा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता पर आक्रमण मानते हुए तत्काल निर्णायक कार्रवाई की। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से आतंकियों के ठिकानों को हाई-प्रिसिजन टेक्नोलॉजी के माध्यम से चिन्हित कर ध्वस्त किया गया।

यह ऑपरेशन महज़ जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि स्पष्ट संदेश है — भारत अब न तो चुप रहेगा और न ही सीमित। यह ऑपरेशन तब तक जारी रहेगा जब तक आतंकवाद की जड़ें पूरी तरह समाप्त नहीं हो जातीं। पाकिस्तान बार-बार आतंकियों को पनाह देने का प्रयास करता रहा है, लेकिन भारत ने बार-बार अपने साहस, पराक्रम और सटीक टेक्नोलॉजी से ऐसे प्रयासों को विफल किया है।

निष्कर्ष: सुरक्षा का नया परिभाषा-पत्र

पहलगाम हमला एक त्रासदी नहीं, चेतावनी है। यह स्पष्ट संकेत है कि अब लड़ाई के हथियार बदल चुके हैं — ड्रोन, एआई, सैटेलाइट इमेजिंग और साइबर जासूसी अब युद्ध की नई परिभाषा हैं। भारत को इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर और अग्रणी बनने की आवश्यकता है।

आज हमारी क्षमा की परिधि समाप्त हो चुकी है। अब सुरक्षा केवल सीमाओं की रक्षा नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की ‘इम्यूनिटी’ — तकनीकी, सामाजिक और रणनीतिक — को मजबूत करने की प्राथमिक जिम्मेदारी है।

अब समय है कि भारत अपनी तकनीक, तंत्र और ताकत — तीनों को अद्यतन कर एक ऐसे राष्ट्र के रूप में उभरे, जो न केवल अपने नागरिकों की रक्षा करे, बल्कि विश्व को यह संदेश दे कि लोकतंत्र, विज्ञान और सुरक्षा का यह त्रिकोण अपराजेय है।

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