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सोमवार, 28 अप्रैल 2025

मातृ भारती की नई कार्यकारिणी के गठन के साथ शुरू हुआ एक नया अध्याय

🔘 विद्या भारती विद्यालय में मातृ भारती की नई कार्यकारिणी का गठन

लखीमपुर खीरी। जहाँ आस्था दीप बनकर जलती है और सेवा जीवन का आधार बनती है, वहीं आज पं. दीनदयाल उपाध्याय सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, लखीमपुर खीरी के प्रांगण में मातृ भारती की एक नवीन यात्रा का शुभारंभ हुआ। माँ सरस्वती के चरणों में माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के पावन संग संस्कारों की खुशबू फिजाओं में बिखर गई।
विद्यालय के प्रधानाचार्य अरविंद सिंह चौहान एवं सीमा साहनी के स्नेहिल सान्निध्य में आयोजित इस बैठक में मातृ भारती की नई कार्यकारिणी का गठन हुआ। प्रधानाचार्य ने मातृ भारती बहनों के समर्पण को विद्यालय की प्रगति का मेरुदंड बताते हुए उनके योगदान को नमन किया। सभी मातृशक्तियों ने एक स्वर में नवगठित कार्यकारिणी के नामों पर अपनी सहमति की मधुर वाणी बिखेरी। 



जिनकी घोषणा इस प्रकार हुई:
मार्गदर्शक: सीमा साहनी, जिनकी अनुभवी दृष्टि आगामी यात्रा का दीपक बनेगी।
संरक्षक: श्वेता सिंह, जिनके आशीष की छांव में संगठन पल्लवित होगा।
अध्यक्ष: गुंजन गुप्ता, जो सेवा और नेतृत्व का समन्वय बनकर प्रेरणा देंगी।
उपाध्यक्ष: अंशु बाजपेई, शालिनी वर्मा, दीपिका वर्मा, गीता पांडे,  जिनकी ऊर्जा संगठन को नये आयाम देगी।
कोषाध्यक्ष: सन्नू तिवारी, जिनके भरोसेमंद हाथों में संगठन की धरोहर सुरक्षित रहेगी।
मंत्री: अमृता चंदेल, जो संवाद और समन्वय की मिसाल बनेंगी।
सह मंत्री: सोनी सिंह, प्रियंका मिश्रा, रंजना अवस्थी, शिवानी वर्मा, माधुर गोविल और अंजना दीक्षित,  जो संगठन को मजबूती से आगे ले जाएँगी।

विद्यालय प्रबंधन ने हर्षोल्लास के साथ सभी नवचयनित पदाधिकारियों को बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया कि मातृ भारती की यह नई टोली सेवा, समर्पण और संस्कार की त्रिवेणी बनकर विद्यालय को नयी ऊँचाइयों पर ले जाएगी।

मार्गदर्शक श्रीमती साहनी ने भावपूर्ण शब्दों में कहा,
"संस्कारों से सींची गई इस संस्था को हम मातृशक्ति की ऊर्जा से नवीन ज्योति प्रदान करेंगे।"

वहीं अध्यक्ष श्रीमती गुप्ता ने गर्व और संकल्प से कहा,
"मैं संपूर्ण मातृभारती परिवार के सहयोग से शिक्षा और संस्कृति के इस पावन यज्ञ में अपनी आहुति दूँगी। हम सब मिलकर एक ऐसा स्वर्णिम भविष्य गढ़ेंगे, जहाँ हर बालक ज्ञानदीप बनकर चमकेगा।"


यह आयोजन न केवल एक नई कार्यकारिणी के गठन का पल था, बल्कि मातृशक्ति के अदम्य विश्वास और संगठन की सामूहिक चेतना का भी उत्सव था, एक नया सूर्योदय, जो संस्कारों के नवविकास का संदेश लेकर आया।

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