*चैत्र नवरात्रि पर डीएम की अनूठी पहल, समाजसेवी मधुलिका त्रिपाठी को समर्पित किए सोशल मीडिया हैंडल्स*
*समाजसेवी मधुलिका त्रिपाठी जेल में निरुद्ध महिला बंदियों को निशुल्क प्रशिक्षण देकर बना रहीं सशक्त*
*सीएम योगी की मंशा के अनुरूप डीएम की अनूठी पहल, महिला सशक्तिकरण को मिल रही नई उड़ान*
लखीमपुर खीरी 31 मार्च। चैत्र नवरात्र की द्वितीय दिवस पर मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने महिला सशक्तिकरण के लिए शुरू अनूठी पहल के तहत सोशल मीडिया हैंडल्स को लखीमपुर खीरी की समाजसेवी मधुलिका त्रिपाठी को समर्पित किया है। जिला कारागार में निरुद्ध महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समाजसेवी मधुलिका त्रिपाठी एक अनोखी पहल कर रही हैं, वे उन्हें निशुल्क प्रशिक्षण देकर सशक्त बना रही हैं, ताकि वे जेल से बाहर निकलने के बाद आत्मनिर्भर जीवन जी सकें। उनके प्रयासों से कई महिलाओं को नया जीवन शुरू करने का मौका मिला है।
समाजसेवी मधुलिका महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं। वे जेल में बंद महिलाओं को निशुल्क ट्रेनिंग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का कार्य कर रही हैं। उनका उद्देश्य है कि ये महिलाएँ जेल से बाहर आने के बाद समाज में अपनी एक नई पहचान बना सकें और अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। मधुलिका विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग देती हैं, जिसमें सिलाई, कढ़ाई, ब्यूटी पार्लर, कंप्यूटर शिक्षा और हस्तशिल्प जैसी कई विधाएँ शामिल हैं। ये प्रशिक्षण उन महिलाओं को दिया जाता है, जो किसी न किसी कारणवश जेल में बंद हैं, ताकि वे अपने जीवन को एक नया मोड़ दे सकें और आत्मनिर्भर बन सकें। उनकी इस पहल से कई महिलाओं का जीवन बदल चुका है।मधुलिका का मानना है कि अगर इन महिलाओं को सही दिशा और अवसर दिए जाएं, तो वे भी एक बेहतर भविष्य बना सकती हैं। उनका यह प्रयास समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है कि पुनर्वास और आत्मनिर्भरता के माध्यम से हर कोई एक नई शुरुआत कर सकता है। उनके इस योगदान के लिए उन्हें कई सामाजिक संगठनों द्वारा सम्मानित भी किया गया है।
*समाजसेवा की मिसाल: मधुलिका त्रिपाठी बना रहीं महिलाओं को आत्मनिर्भर, जरूरतमंदों को दे रहीं संजीवनी*
समाजसेवी मधुलिका त्रिपाठी आकांक्षा समिति, रोटरी, इनरव्हील, भारत विकास परिषद, संस्कृत भारती, सेवाभारती ,जेसी, आदिशक्ति, मंदाकिनी, वानप्रस्थ,आदि संस्थाओं से जुड़ी है। संकल्प हांबी क्लासेज उनकी स्वयं की एक संस्था है, इसमें वह विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक प्रशिक्षण देती है। यह प्रशिक्षण गरीब, कमजोर वर्ग की महिलाओं के लिए निशुल्क है। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें कार्य भी देती है, इस तरह वह उन्हें पूर्ण रूप से स्वावलंबी बना रही हैं। रिक्शा चालक, आटोचालक, गरीब लोगों को १० रु में भोजन की व्यवस्था करती है, जो कि समाज के सम्भ्रांत व्यक्तियों के सहयोग से सम्भव हो पाता है। गरीब मां-बाप द्वारा छोड़े गए बच्चों को अपने घर पर रखकर शिक्षित करती है और बालिकाओं का विवाह कर देती हैं। जो बच्चे पढ़ना चाहते हैं, उन्हें आगे पढ़ाती है। अभी उनके यहा से दो बालिकाएं पालीटेक्निक कर रही है।
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