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गुरुवार, 6 मार्च 2025

लखीमपुर: पलिया हवाई अड्डे के भूमि अधिग्रहण में बड़े खेल की आशंका, जांच की मांग तेज

अनूप सिंह। लखीमपुर खीरी के पलिया में प्रस्तावित हवाई अड्डे के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया लगातार सवालों के घेरे में है। 655 एकड़ में बनने वाले इस एयरपोर्ट के लिए छह महीने में मात्र 60% भूमि अधिग्रहित हो सकी है, जबकि प्रशासन को अगले 10 दिनों में शेष 40% जमीन का अधिग्रहण पूरा करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

हालांकि, भूमि अधिग्रहण की धीमी प्रगति से बड़ा विवाद यह है कि इस परियोजना की घोषणा से पहले ही तत्कालीन सत्तानशीन पूर्व सरकार के शीर्ष राजनेताओं एवं खीरी ज़िले में तैनात उच्च पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों ने बड़े स्तर पर ज़मीन की ख़रीद-फरोख़्त कर ली थी। अब जब किसानों से भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है, तो इस पूरे मामले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और सत्ता से जुड़े प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता की आशंका जताई जा रही है।

किसानों की सहमति और अधिग्रहण प्रक्रिया
• अब तक 339 किसानों ने अपनी जमीन अधिग्रहण के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
• प्रशासन को अगले 10 दिनों में 40% भूमि अधिग्रहण पूरा करना है, जो एक कठिन चुनौती बनी हुई है।
• इस प्रोजेक्ट की घोषणा के बाद ज़मीन की कीमतें कई गुना बढ़ गईं, जिससे भूमि खरीद में भारी अनियमितताओं की संभावना है।

पूर्व सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

सूत्रों के मुताबिक, पूर्व सरकार के कुछ शीर्ष नेता और खीरी ज़िले में तैनात उच्च पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों ने हवाई अड्डे की परियोजना की जानकारी पहले ही प्राप्त कर ली थी और इसकी संभावित ज़मीन को औने-पौने दाम पर खरीद लिया था। अब जब सरकार इस जमीन का अधिग्रहण कर रही है, तो इन्हीं प्रभावशाली लोगों को सरकारी दरों पर मुआवजा मिलने से बड़े घोटाले की संभावना जताई जा रही है।

निष्पक्ष जांच की मांग

इस प्रकरण में विपक्षी दलों और किसान संगठनों ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि इस जमीन घोटाले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि किन-किन प्रभावशाली राजनेताओं और अधिकारियों ने किसानों से सस्ते में ज़मीन खरीदकर अब सरकारी मुआवज़े के ज़रिए करोड़ों का लाभ उठाने की योजना बनाई थी।

अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस परियोजना में पारदर्शिता बनाए रखते हुए निष्पक्ष जांच कराएगा या फिर यह मामला भी राजनीतिक संरक्षण के चलते ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

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