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मंगलवार, 25 मार्च 2025

जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरण, वकीलों का विरोध, 25 मार्च को रहेगी हड़ताल।

जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरण वकीलों का विरोध और अनिश्चितकालीन हड़ताल 25 मार्च को रहेगी हड़ताल।

प्रयागराज दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित किए गए जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ वकीलों का जबरदस्त विरोध उभरकर सामने आया है। वकीलों ने इस फैसले को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की और इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी। इस फैसले को लेकर वकील समाज में न्याय की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं।हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि जब तक सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम का जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता, तब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। वकील इस कदम को भ्रष्टाचार के आरोपी एक जज को स्वीकार करने के रूप में देख रहे हैं, और इसलिए उन्होंने इसे लेकर आक्रोश जताया है। अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई “कचरे का डब्बा” नहीं है, जहां भ्रष्टाचार के आरोपी जजों को भेजा जाए।
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से करोड़ों रुपये की नकदी मिलने के मामले ने इस विरोध को और तेज कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की एक बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि इस मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कराई जाए। वकीलों का कहना है कि जब तक इस मामले की पूरी जांच नहीं हो जाती, तब तक उनका स्थानांतरण किसी दूसरे हाईकोर्ट में न किया जाए। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की भी मांग की गई है।सिर्फ जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण को लेकर ही नहीं, बल्कि इस बैठक में जजों की नियुक्ति में भाई-भतीजावाद को लेकर भी वकीलों ने अपनी चिंता जताई। वकील चाहते हैं कि जजों के परिवारों और रिश्तेदारों से जितने भी जज नियुक्त हुए हैं, उनका स्थानांतरण दूसरे हाईकोर्ट में किया जाए। इसके अलावा, वकीलों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिक्त जजों के पदों को भी भरने की मांग की। इन मांगों को लेकर वकील यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि न्यायपालिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण की पुष्टि होने के बाद वकीलों का विरोध और भी तीव्र हो गया। पहले तो वकीलों ने आधे दिन की हड़ताल की, लेकिन शाम को स्थानांतरण की पुष्टि होने के बाद वकीलों ने एक और बैठक की और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगों को नहीं माना जाता, तब तक वे न्यायिक कार्य में कोई भी भागीदारी नहीं करेंगे। इस हड़ताल का असर इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहे सभी मामलों पर पड़ा और न्यायिक कार्य ठप हो गया।वकीलों का आक्रोश इस बात को लेकर है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और उनकी संपत्ति के मामले में भी कई सवाल उठाए गए हैं। इसके बावजूद, उनका स्थानांतरण एक ऐसे हाईकोर्ट में किया जा रहा है जहां पहले से ही न्यायिक पदों पर खालीपन है और जहां भ्रष्टाचार के आरोपी जजों को स्वीकार करने की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इस मुद्दे को लेकर वकील लगातार उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट से पारदर्शिता और उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।जहां एक ओर वकील जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण का विरोध कर रहे हैं, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की पुष्टि नहीं की थी, लेकिन अब जब इसकी पुष्टि हो गई है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे को किस तरह से हल करता है। क्या यह विवाद केवल प्रशासनिक स्तर पर हल होगा, या फिर इसे न्यायिक स्तर पर भी कोई बड़ा बदलाव देखना पड़ेगा? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है।जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण और उनके खिलाफ उठ रहे भ्रष्टाचार के आरोप, न्यायपालिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता को उजागर करते हैं। वकीलों का यह आंदोलन यह साबित करता है कि समाज में कानून और न्याय की प्रक्रिया में विश्वास बनाए रखने के लिए न्यायाधीशों की ईमानदारी और पारदर्शिता बेहद महत्वपूर्ण है। अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस विवाद का समाधान किस तरह से करता है और क्या यह कदम न्यायपालिका के भीतर सुधार की दिशा में एक नया मोड़ साबित होगा।

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