Breaking

मंगलवार, 26 नवंबर 2024

devotional : एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही क्यों ?

 शास्त्रों में प्रचलित एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में महर्षि मेधा ने एक बार यज्ञ में आए हुए एक भिखारी का अपमान कर दिया जिसकी वजह से माता दुर्गा अत्यंत नाराज हो गईं। माता को मनाने और प्रायश्चित के लिए महर्षि मेधा ने अपना शरीर त्याग दिया।शरीर त्यागने के बाद उसके अंश धरती में समा गए और उस प्रायश्चित से प्रसन्न होकर माता दुर्गा ने महर्षि को एक आशीष दिया कि उनके अंग भविष्य में अन्न के रूप में धरती से उगेंगे। महर्षि के पृथ्वी पर दबे हुए अंश चावल और जौ अन्न के रूप में प्रकट हुए।उस दिन एकादशी तिथि थी और तभी से चावल और जौ को जीव माना गया। यही वजह है कि एकादशी तिथि को चावल खाना जीव का उपभोग करने के समान माना जाता है और इस दिन चावल खाने की मनाही होती है।
एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु का व्रत उपवास किया जाता है और जो व्यक्ति इस दिन चावल खाता है उसे मांसाहार खाने के समान माना जाता है। ऐसे व्यक्ति की कोई भी पूजा स्वीकार्य नहीं होती है।चंद्रमा मस्तिष्क और हृदय को प्रभावित करता है चूंकि इसे मन का कारक माना जाता है। चंद्रमा के प्रभाव की वजह से ही एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति को मानसिक और हृदय संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।
एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में जल भी न चढ़ाएं क्योंकि इस दिन तुलसी जी भी निर्जला उपवास करती हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Comments