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शनिवार, 14 सितंबर 2024

एमपॉक्स की पहली वैक्सीन को मंजूरी यह महामारी से निपटने की दिशा में पहला कदम : विश्व स्वास्थ्य संगठन


अफ्रीका महाद्वीप में महामारी की तरह फैलने के अलावा भारत सहित कई देशों में सैकड़ों लोगों की जान ले चुके एमपॉक्स जिसे मंकीपॉक्स भी कहा जाता है, के कारगर इलाज की उम्मीद जगी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन  ने वयस्कों के लिए एमपॉक्स की पहली वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने  यह जानकारी देते हुए कहा कि यह अफ्रीका व अन्य स्थानों पर इस बीमारी से लड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बवेरियन नार्डिक कंपनी की इस वैक्सीन को यूनिसेफ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन खरीद सकेंगे, हालांकि इसकी आपूर्ति सीमित रहेगी।
एमपॉक्स को पहले मंकीपॉक्स  के नाम से जाना जाता था। यह एक संक्रामक रोग है। अफ्रीका रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के अधिकारियों ने पिछले महीने कहा था कि कांगो एमपॉक्स से सबसे अधिक प्रभावित देश है में हैं जहां लगभग 70 प्रतिशत मामले बच्चों में हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अघानम घेब्रेयेसस ने कहा, “एमपॉक्स रोधी वैक्सीन की पहली प्री क्वालिफिकेशन इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम है।” वैक्सीन प्रीक्वालिफिकेशन  का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि टीके सुरक्षित और प्रभावी हों। विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुमति के तहत यह वैक्सीन 18 वर्ष और इससे अधिक उम्र के लोगों को दो खुराक में दी जा सकती है। हालांकि वैक्सीन को 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए लाइसेंस नहीं मिला है लेकिन इसका उपयोग शिशुओं, बच्चों और किशोरों में उन जगहों पर किया जा सकता है जहां टीकाकरण के लाभ संभावित जोखिमों से अधिक हैं।एमपॉक्स  एक वायरल जूनोटिक बीमारी है जो जानवरों और मनुष्यों के बीच फैल सकती है। यह बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे (फ्लू के समान) लक्षणों से शुरू होती है जिसके बाद दाने निकलते हैं जो फफोले या घावों में बदल जाते हैं। ये घाव और फफोले मुंह, हाथ, पैर, छाती, जननांगों या गुदा पर दिखाई दे सकते हैं। मंकीपॉक्स वायरस के संपर्क में आने के बाद, लक्षण प्रकट होने से पहले औसत ऊष्मायन अवधि 1 से 2 सप्ताह होती है।

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