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गुरुवार, 25 जुलाई 2024

हिन्द महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना सहित तटीय देशों की भूमिका पर पीजी कॉलेज में पेश किय गया शोध प्रबंध


गाजीपुर। पीजी कॉलेज में पूर्व शोध प्रबंध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कला संकाय के राजनीति विज्ञान के शोधार्थी विकास कुमार ने ‘शीत युद्ध के पश्चात् हिन्द महासागर में महाशक्तियों की स्थिति एवं भारत की सुरक्षा नीति’ विषयक अपना शोध प्रबंध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत की। बताया कि वर्तमान में हिन्द महासागर क्षेत्र विश्व का ऐसा क्षेत्र है जो अस्थिर और अशांत है। राजनीतिक हलचल और महाशक्तियों की प्रतिद्वंद्विता इस क्षेत्र की मूल विशेषता है। नौ-सैनिक महत्व विशेषकर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह क्षेत्र तनाव, संघर्ष एवं टकराव का केंद्र बन गया है। अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए महाशक्तियां विशेषकर अमेरिका, रूस, चीन व फ्रांस अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं। हिन्द महासागर भारत के लिए केन्द्रीय महत्व का बिन्दु है। इस महासागर की आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियां प्रारम्भिक काल से ही भारतीय उपमहाद्वीप से जुड़ी है। हिन्द महासागर में भारत के लगभग 1152 द्वीप है, जिनकी सुरक्षा और विकास का दायित्व भारत पर ही है। इसके अतिरिक्त भारत का 98 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार हिन्द महासागर से ही होता है। पूर्व की ही भांति आगे के वर्षो में भी हिन्द महासागर जल क्षेत्र भारतीय विकास व प्रतिष्ठा का मुख्य आधार बना रहेगा। भारत को आगे के विकास व सुरक्षा के लिए हिन्द महासागर जल क्षेत्र पर विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि भारत के आर्थिक विकास तथा सुरक्षा में हिन्द महासागरीय संसाधनों तथा परिवहन माध्यमों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। इसी विषय पर शोधार्थी ने शोध के बारे में बताया। जिसके बाद लोगों के सवालों का भी जवाब दिया। जिसके बाद प्राचार्य प्रो. डॉ. राघवेन्द्र पाण्डेय ने शोध प्रबन्ध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान की। इस मौके पर प्रो. डॉ. जी. सिंह, प्रो. डॉ. सुनील कुमार, प्रो. डॉ आबिद अंसारी, प्रो. डॉ. अरूण यादव, डॉ. कृष्ण पटेल, डॉ. राम दुलारे, डॉ. रूचिमूर्ति सिंह, प्रो डॉ. सत्येंद्र नाथ सिंह, डॉ. अतुल सिंह, डॉ. मनोज मिश्रा, डॉ. लवजी सिंह आदि रहे।

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