कौशांबी गंगा दशहरा के पर्व पर जिले के विभिन्न गंगा घाट कड़ाघाट कुबरीघाट कालेश्वर घाट शहजादपुर घाट पल्हाना घाट संदीपन घाट बदनपुर घाट उमरछा घाट कुरईघाट सहित विभिन्न गंगा और यमुना के घाटों में लाखों श्रद्धालुओं ने श्रद्धा के साथ स्नान किया है गंगा स्नान के बाद भक्तों ने मंदिर कुटी शिवालय में विधि विधान से पूजा यज्ञ अनुष्ठान कर समाज परिवार और देश के कल्याण की कामना की गंगा दशहरा के पर्व पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर स्थानीय थाना पुलिस चौकी पुलिस लगातार भ्रमणशील रही और संदिग्ध व्यक्तियों पर लगातार नजर बनाए रक्खा जगह-जगह पर भक्तों द्वारा विशाल भंडारा के आयोजन किया गया है जनपद मुख्यालय मंझनपुर के दुर्गा मंदिर में भी विशाल भंडारे का आयोजन हुआ है।अपनी पवित्रता के लिए पूजी जाने वाली मां गंगा ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी इसीलिए इस दिन को गंगा दशहरे के रूप में मनाया जाता है। अर्थात स्वर्ग से धरती पर गंगा के आने का पर्व है गंगा दशहरा। मां गंगा को संपूर्ण विश्व में सबसे पवित्र नदी माना जाता है।जब गंगा धरती पर आई, तब यहां की बंजर धरती उपजाऊ हुई और हर क्षेत्र में हरियाली छा गई, तभी से यह गंगा दशहरा पर्व मनाने की शुरूआत हुई वराह पुराण के अनुसार मां गंगे 10 पापों को नष्ट करती है इसीलिए इसे दशहरा करते हैं।गंगा दशहरे के दिन गंगा तटों एवं घाट पर बड़े-बड़े मेले के आयोजन का भक्तों ने लुफ्त उठाया हैं और लाखों श्रद्धालुओ ने यहां आकर गंगा नदी के पवित्र जल में स्नान कर मां का पूजन अर्चन किया गंगा दशहरा के दिन का बड़ा धार्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ दिन पर जो लोग माता गंगा की पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही उनके पापों का नाश होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 16 जून 2024 को गंगा दशहरा का पर्व मनाया गया यह दिन गंगा जी को समर्पित है. गंगा दशहरा पर गंगा जी में स्नान करने से आरोग्य, अमृत की प्राप्ति होती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार राजा भागीरथ की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ज्येष्ठ माह के शुक्ल दशमी तिथि पर गंगा जी धरती पर अवतरित हुईं थी।
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था. अपने पूर्वजों की आत्मा के उद्धार के लिए भागीरथ गंगा को पृथ्वी पर लेकर आए थे गंगा दशहरा के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठकर शुभ मुहूर्त के समय गंगा नदी में स्नान कर भक्तों ने विधि-विधान से पूजा की धार्मिक ग्रंथो में मान्यता है कि अगर कोई गंगा नदी में स्नान नहीं कर पाता तो वह घर में ही गंगाजल डालकर पानी में स्नान करें. माता गंगा की पूजा अर्चना करने के साथ-साथ महादेव की भी पूजा अर्चना करें।
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