दैनिक जनजागरण न्यूज। आज दिनांक 20/04/2024 को बिहार विद्यापीठ के देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण व महाविद्यालय में साहित्य उत्सव 2024 का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विजय प्रकाश ने अपने संबोधन में कहा कि भाषा की विविध दक्षताएं सुबोपल्ली (सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना) को सिखाने के लिए अलग-अलग शिक्षण अधिगम सामग्रियाँ विकसित करना अनिवार्य है। उन्होंने अपने आलेख में डॉ राजेन्द्र प्रसाद तथा स्वामी विवेकानंद की विशिष्ट शिक्षण शैली का उल्लेख करते हुए कहा कि उन महापुरुषों के शिक्षण शैलियों की विवेचना को अपनाने की जरुरत है। काव्य लेखन सिखाने हेतु पैरोडी लिखना सिखाना एक उत्कृष्ट क्रिया हो सकती है। सीखने की प्रक्रिया को व्याख्यायित करते हुए कहा कि लोक खेल, लोक गीत,लोक नृत्य, लोक नाट्य तथा क्रिकेट खेल पर आधारित भाषा शिक्षण के खेल को विकसित किया जा सकता है। मैजिक, म्यूजिक, ड्रामा गेम्स, पहेली कहावतें के आधार पर भी शिक्षण अधिगम सामग्री विकसित किया जा सकता है, प्राथमिक अधिगम, अधिगम प्रबलन, तथा अधिगम मूल्यांकन के लिए अलग अलग शिक्षण अधिगम सामग्री विकसित करना शिक्षकों का मौलिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि भाषा शिक्षण की कठिनाइयों जैसे वर्तनी और उच्चारण की अशुद्धियां, को सहजता से सिखाया जाए।
साहित्य उत्सव में भाषा शिक्षण की विधियों - प्रविधियों पर आधारित एक आकर्षक प्रदर्शनी लगाई गई । भाषा शिक्षण सामग्री की प्रदर्शनी का अवलोकन बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष श्री विजय प्रकाश भा प्र से (से नि), सचिव, डॉ राणा अवधेश, भा प्र से(से नि), पूर्व निदेशक,शोध एवं प्रशिक्षण, बिहार सरकार, श्री एन पी नारायण, निदेशक, शिक्षा, संस्कृति एवं संग्रहालय डॉ मृदुला प्रकाश, प्राचार्य डॉ पूनम वर्मा, सहायक सचिव अवधेश के नारायण द्वारा सामूहिक रूप से किया गया तथा छात्रों को उचित परामर्श किया गया।
इस उत्सव में साहित्य शिक्षण के लिए एक शिक्षण अधिगम सामग्री पर आकर्षक प्रदर्शनी लगायी गयी है।
पूर्व निदेशक, शोध एवं प्रशिक्षण बिहार सरकार, निकुंज प्रकाश नारायण ने भाषा और बोली में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि संविधान में 22 भाषाएं अधिसूचित हैं । स्थानीय भाषा को बोली कहा जाता है। उन्होंने कविता के माध्यम से सकारात्मक सोच की अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करने पर बल दिया ताकि समाज में एक सकारात्मक वातावरण विकसित हो सके।
इस अवसर पर साहित्य शिक्षण को समर्पित एक रंगारंग कार्यकर्म का भी आयोजन किया गया। स्वागत नृत्य शुभ घड़ी आयो रे की प्रस्तुति अनन्या, शिवानी एवं श्वेता ने सामूहिक रूप से किया। मंजरी चौधरी ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। ‘भाषाई विविधता’ हमारी स्मिता नामक लघु नाटक की सामूहिक प्रस्तुति शिवम्, निप्पु, विक्रम, निशु, नीतीश, रविरंजन, रवि, श्रुघी, हरिकिशोर, स्वाति एवं मानवी द्वारा की गई। सहायक प्राध्यापिका मंजरी चौधरी द्वारा बंग्ला नृत्य एकला चलो रे की प्रस्तुति की गई। लाड़ली कुमारी द्वारा रोचक शैली में एकता गीत प्रस्तुत किया गया। हिन्दी कविता का पाठ शिखा ने किया। अंग्रेजी नाटक आनेस्टी इज द बेस्ट पालिसी का मंचन निशु, छवि, नंदिता क्षमा, स्वाति , गिन्नी,आकाश एवं मनीष ने सामूहिक रूप से किया।अमन ने हिन्दी कविता का पाठ किया। निशु ने अंग्रेजी कविता द रोड नाटक टेकेन का पाठ किया। नीतीश कुमार सिंह ने आगत अतिथियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट किया। कार्यक्रम समाप्त हुई।
इस कार्यक्रम का संयोजन प्राध्यापक डॉ रीना चौधरी एवं मंजरी चौधरी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक श्रीमती शादमा शाहिन, श्री चंद्रकान्त आर्य, रीम्पल कुमारी, सहायक मंत्री उर्मिला कुमारी, श्री विवेक रंजन वित्त मंत्री की सक्रिय भागीदारी ने कार्यक्रम को सफल बनाया।
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