लखीमपुर खीरी। विश्व श्रवण दिवस के उपलक्ष में (चेंजिंग माइंड सेट्स) बहरेपन को लेकर फैली भ्रांतियों पर एक जागरूकता कार्यक्रम होटल इलाट-इन में आयोजित हुआ। जिसमें सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात आरबीएसके और आरकेएसके टीम के डॉक्टर्स पैरामेडिकल स्टाफ व काउंसलर को प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सीएमओ डॉ संतोष गुप्ता और बतौर विशिष्ट अतिथि प्राचार्य मेडिकल कॉलेज डॉ आर्य देशदीपक सहित सीएमएस जिला पुरुष चिकित्सालय डॉ आईके रामचंदानी, वरिष्ठ सर्जन डॉ आरके कोली, (एसीएमओ) कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ अनिल कुमार गुप्ता मुख्य रूप से उपस्थित रहे। वहीं कार्यक्रम में मुख्य वक्ता नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ (असिस्टेंट प्रोफेसर) मेडिकल कॉलेज डॉ मनोज शर्मा रहे। जिन्होंने बहरेपन को लेकर फैली भ्रांतियां और कान से संबंधित तमाम रोगों और उनके निवारण पर पीपीटी के माध्यम से जानकारी दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ सभी अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पित कर किया गया। इसके बाद कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ अनिल कुमार गुप्ता द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मनोज शर्मा ने बहरेपन को लेकर फैली भ्रांतियों के विषय पर उपस्थित डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ और काउंसलर्स को बताया। उन्होंने कहा कि बहरापन कई वजह से हो सकता है। छोटी-छोटी गलतियां बहरेपन का कारण बन सकतीं हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों में यह समस्या जल्द पनप जाती है। बहरेपन के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से निम्न प्रमुख हैं, जिनमें उम्र बढ़ने के साथ बहरेपन की समस्या उत्पन्न होना प्राकृतिक घटना है। व्यावसायिक जोखिम (जो लोग शोर वाले क्षेत्रों में काम कर रहे हैं) गंदगी के कान में गिरने या डालने से गंभीर कान संक्रमण टीम्पेनिक रोग, टीम्पेनिक झिल्ली में छेद,
कान में हड्डियों का गल जाना और कैंसर जैसे बीमारी, गलत दवाइयों के सेवन से, मोबाइल का ज्यादा प्रयोग करने से भी बहरेपन की समस्या हो सकती है।
सीएमओ डॉ संतोष गुप्ता ने बताया कि कई बार कान में पानी चले जाने से, इंफेक्शन हो जाने से या फिर गलत तरीके से कान की सफाई करने से भी बहरेपन की समस्या हो सकती है। कारण के त्वरित निस्तारण से बहरेपन की समस्या नहीं होती, लेकिन वर्तमान समय में लोग तमाम घरेलू तरीके अपनाकर इस समस्या को बढ़ा लेते हैं। इसीलिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिससे आप लोगों के माध्यम से जानकारी को गांव-गांव तक पहुंचाया जा सके, क्योंकि आरबीएसके और आरकेएसके की टीम गांव-गांव तक जाकर काम करती है।
एसीएमओ डॉ अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि इस मामले में बरती जाने वाली सावधानियों की अगर बात करें तो शोरगुल वाले स्थानों से दूर रहें, डॉक्टर से सलाह लेकर बहरेपन के कारण का पता लगायें, ऑडिओलॉजिस्ट से सम्पूर्ण जांच कराये, सुनने में सहायक यंत्रों का उपयोग करें।
प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज डॉ आर्य देशदीपक ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ दो असिस्टेंट प्रोफेसर की तैनाती हो चुकी है। नाक, कान व गले से संबंधित समस्या के निराकरण के लिए आप लोग, लोगों को उपचार के लिए सही जगह पर भेजें। जिससे छोटी समस्या बड़ा रूप ना ले सके। मेडिकल कॉलेज में सेवाओं को और बढ़ाया जा रहा है। आने वाले समय में नाक, कान व गला से संबंधित सभी सुविधाएं मेडिकल कॉलेज में मिलने लगेंगी। इस दौरान सीएमएस जिला पुरुष चिकित्सालय डॉ आईके रामचंदानी ने कहा कि जिला चिकित्सालय में बहरेपन की समस्या को लेकर आने वाले मरीजों को बेहतर उपचार की व्यवस्था की गई है। दवाई भी निशुल्क दी जाती हैं और हायर सेंटर में तब्दील होने से सेवाएं और अधिक बढ़ी हैं। वरिष्ठ सर्जन डॉ आरके कोली ने बताया कि नाक, कान या गले की तमाम समस्याओं के लिए ऑपरेशन या सर्जरी भी करनी पड़ती है। जिसकी शुरुआत जिला अस्पताल/ मेडिकल कॉलेज में हो चुकी है, लेकिन हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि यह तीनों बहुत अधिक सेंसिटिव शरीर के अंग हैं। ऐसे में उनके साथ घरेलू प्रयोग न करें। विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह से इलाज काराएं और आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी या ऑपरेशन से समस्या से निजात मिल जाती है। इस दौरान, डॉ सुधीर यादव, डीपीएम अनिल यादव सहित एनसीडी फाइनेंस ऑफिसर विजय वर्मा, आरकेएसके डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर अमित खरे, एनसीडी काउंसलर देवनंदन श्रीवास्तव, ऑडियोमैट्रिस्ट बसंत गुप्ता, अनुज श्रीवास्तव, सरिता सिंह ने कार्यक्रम में सहभागिता की।
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*आरकेएसके कार्यक्रम से मिली 11 बच्चों को बहरेपन से निजात*
सीएमओ डॉ संतोष गुप्ता ने बताया कि कंजेनाइटल डेफ्नेस से ग्रस्त 11 बच्चों को आरकेएसके टीम द्वारा वर्ष 2023-24 में चिन्हित किया गया और उनका इलाज योजना के अंतर्गत निशुल्क कराया गया। उन्होंने बताया कि एक ऑपरेशन पर करीब 7 से 8 लाख रुपए का खर्च आता है। इस हिसाब से करीब 80 लाख रुपए का खर्च सरकार द्वारा वहन किया गया है। जिले में अभी 8 ऐसे बच्चे और चिन्हित हैं जो इस समस्या से ग्रसित हैं उनके उपचार की प्रक्रिया चल रही है। जिस पर टीम के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर अमित खरे द्वारा निगरानी रखी जा रही है और इन सभी को सरकारी योजना का पूरा लाभ मिले इसकी निगरानी भी की जा रही है।
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