Breaking

मंगलवार, 29 अगस्त 2023

लखीमपुर - लखनऊ हाइवे के सवार, यात्रा के दौरान रहें होशियार

परेशानी का सबब हैं निर्माणाधीन हरगांव उपरगामी सेतु, छुट्टा जानवर एवं अस्थायी अतिक्रमण 

जहां एक तरफ समूचे देश में सड़कों का तन्त्रजाल बिछाकर आवागमन की सुविधा सरल बनाई जा रही है, वहीं दूसरी तरफ क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश के सबसे बड़े जिले खीरी के मुख्यालय लखीमपुर को प्रदेश की राजधानी से जोड़ने वाली सड़क पर विकास की बयार चली जरूर लेकिन लखीमपुर - सीतापुर के सीमावर्ती क्षेत्र हरगांव ( जिला सीतापुर) में उपरगामी सेतु न बनता देख यही लगता है कि मानो उपेक्षा की धूप में कुम्हलाता विकास का पौधा हो।

लखीमपुर से सीतापुर होते हुए लखनऊ को जोड़ने वाले इस हाइवे की दूरी लगभग सवा सौ किलोमीटर है। जिसमे लखीमपुर से सीतापुर तक बेशक हाइवे लगभग ठीक हो गया हो लेकिन इस पर चलना आज भी खतरे से खेलने के बराबर है। हाइवे पर जगह जगह बीच मे बैठे मवेशी मानो चुनौती देते नजर आते हों कि हम नही हटेंगे।  ओयल में प्रतीत होता है मवेशियों ने हाइवे पर ही बसेरा बना रखा हो, खास तौर पर सूरज ढले मवेशी ग्रुप में आकर हाइवे पर कब्जा कर लेते हैं। यही हाल लखीमपुर से सीतापुर के बीच हाइवे पर पड़ने वाले प्रमुख कस्बों, गांवों का है। यह मवेशी हरगांव, झरेखापुर, नेपालापुर आदि स्थानों पर हाइवे पर ग्रुप में देखने को मिल जाएंगे। इतना ही नही सीतापुर रेल लाइन उपरगामी सेतु पर तो इन मवेशियों ने स्थायी ठिकाना बना रखा है। हाइवे पर मवेशी किसी अनहोनी को न्योता देते नजर आते हैं, और अक्सर इनके कारण दुर्घटनाएं देखने को भी मिलती हैं।

बात उपरगामी सेतु की चली तो बता दें हरगांव उपरगामी सेतु लगभग बीते एक दशक से निर्माणाधीन है। कारण तो केंद्र की रेलवे सरकार और प्रदेश का राज्य सेतु निगम ही जाने लेकिन यह कारण आवागमन वालों की परेशानी का सबब जरूर है, खास तौर पर लखीमपुर खीरी वालों की। क्योंकि लखीमपुर खीरी वालों को ज्यादातर काम के लिए लखनऊ जरूर जाना पड़ता है। विकास की बयार अभी अपेक्षित विकास से खीरी को छू नही पायी है। बेशक खीरी में मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन है लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि इस जिले को आजादी के साढ़े 7 दशकों के बाद भी नेफ्रोलॉजिस्ट, गेस्ट्रोलॉजिस्ट, कार्डियोजोजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट आदि किसी महत्वपूर्ण आंतरिक अंग का विशेषज्ञ चिकित्सक नसीब नही हो पाया है। इस कारण मूलभूत आवश्यकता स्वास्थ्य के लिए सीतापुर के तीमारदार बीमार को लेकर खीरी जिले की तरफ मूव करेंगे यह सोचना भी बेमानी है। बाकी पड़ोसी जिला है तो आवागमन तो रहता है लेकिन अपेक्षाकृत खीरी जिले के लोगो को ज्यादा सफर करना पड़ता है। इस हाइवे पर बात की जाय अतिक्रमण की तो शायद ही कहीं स्थायी अतिक्रमण दिखता हो, लेकिन लखीमपुर से लखनऊ के बीच अस्थायी अतिक्रमण की भरमार है। हाइवे पर पड़ने वाले हर कस्बे, गांव के कटों पर आस्थायी अतिक्रमण साफ दिख जाएगा। कहीं कहीं तो साप्ताहिक बाजारों एवं सब्जी मंडियों के अतिक्रमण से आवागमन में वाहनों को असुविधा होती है। साथ ही हाइवे पर चलने वाले निजी वाहन यहां तक कि कभी कभी सरकारी व अर्धसरकारी बसें भी यातायात नियमों को ताख पर रख परेशानी व दुर्घटनाओं का सबब बन जाती हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Comments