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बुधवार, 26 जुलाई 2023

आलेख / भारतीय सेनाओं के अदम्य साहस और शौर्य का प्रमाण है कारगिल विजय दिवस

● कारगिल विजय दिवस : 26 जुलाई 1999 पर लेख

लखीमपुर खीरी 26 जुलाई। कारगिल का युद्ध भारत-पाक के बीच हुए युद्धों मे सबसे ताजा और सबसे भीषण युद्ध है, जिसे भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय नाम दिया। क्योंकि, भारतीय सेना ने दुश्मन के घुसपैठ का पता लगते ही यह निश्चय कर लिया कि, इस जंग मे विजय तो प्राप्त करनी ही है, और दुश्मन को अपनी सीमा से बाहर भगाना ही है, चाहे जिस कीमत पर हो। यह युद्ध भारतीय सेनाओं के अदम्य साहस और शौर्य का प्रमाण है। 

03 मई 1999 को पता लगा कि, कुछ पाकिस्तानी घुसपैठिये करगिल की पहाड़ियों मे छुपे हैं। शुरुआत मे इसे घुसपैठ की एक छोटी घटना समझ कर, सेना की पेट्रोलिंग टीम जानकारी लेने कारगिल पहुची। पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमे से पांच की हत्या कर दी। पाकिस्तानियों का यह जघन्य घृनित कार्य भारत को युद्ध का आमंत्रण था। रण चंडिका जाग्रित हुई और भारतीय सेनाओं ने पूरे दम-खम से प्रहार शुरू किया। 

दरअसल, पाकिस्तान के धोखेबाज चरित्र के अनुसार ही, पाक सेना की यह बहुत बड़ी साजिश थी। एक तरफ फरवरी 1999 मे कश्मीर समस्या के द्विपक्षिय समाधान के लिए पाकिस्तान ने भारत के साथ समझौता किया, वहीं दूसरी तरफ लद्दाख को भारत से काट कर सियाचीन से भारत का संपर्क तोड़ने के लिए द्रास, काकसार, और मश्कोह सेक्टर की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी छुपकर घुसपैठ करते रहे।

एक अत्यंत भीषण युद्ध हुआ। दुश्मन 1800 फीट की ऊंचाई पर पक्के बंकर बना कर बैठा था। भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने राॅकेट और बमों की वर्षा की और जब दुश्मन के बंकर टूटे तब चूहों की तरह दुशमन बिल से बाहर आया। बोफोर्स तोप की होविटजर पद्धती पहाड़ियों पर टिके दुश्मन को नेस्तनाबूद करने मे भारतीय सेना के बहुत काम आई। हमारे अमर वीर कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टेन अनुज नैयर, ग्रेनेडियर योगेन्द्र यादव,  लेफ्टीनेंट मनोज कुमार पाण्डेय, कैप्टेन अनमोल कालिया ऐसे अनेक वीरों ने अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का अभूतपूर्व परिचय दिया। जिनके ऊपर कई फिल्में भी बनाई गई। 

26 जुलाई 1999 को भारत के महान पराक्रमी सैनिकों ने पहाड़ों की चोटियों पर बैठे दुशमनों को नेस्तोनाबूद कर अपनी विजय पताका फहरा दिया। इस युद्ध में 2700 पाकिस्तानी सैनिक मारे गये। वहीं हमारे 527 सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुती दी और 1300 से ज्यादा घायल हुए। द्रास स्थित करगिल युद्ध स्मारक इस कभी न भूलने वाले युद्ध की गवाही है। 

हमारे गृह जनपद लखीमपुर खीरी के पूर्व सैनिक भी हैं जिन्होंने इस भीषण युद्ध मे भाग लिया। कर्नल आलोक सक्सेना, ऑनररी कैप्टन अकरम खान, ऑनररी लेफ्टीनेंट प्रेम कुमार, सुबेदार लखविंदर सिंह, नायक संदीप कुमार, और नायक खगेश्वर प्रसाद इस युद्ध के दौरान कारगिल मे तैनात थे। 

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर जिला  सैनिक कल्याण परिसर मे स्थित जनपद के एक मात्र शहीद स्मारक पर अमर जवानों को श्रद्धांजली पुष्पांजली का कार्यक्रम हुआ। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी ने आह्वान किया है कि, जनपद के तमाम स्कूलों के छात्र छात्रा और समाज के सभी लोग इस समारोह मे हिस्सा लेकर अमर जवानों का मान बढाया हैं, जनपद के कारगिल योद्धाओं से मुलाकात की। जय हिन्द।

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