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सोमवार, 5 जून 2023

बांकेगंज ( खीरी) / विनायक इंटर कॉलेज में धूमधाम से मनाया गया विश्व पर्यावरण दिवस

छात्र-छात्राओं को  पौधरोपण और उसके संरक्षण के लिए किया गया प्रेरित।


 बांकेगंज खीरी ( धर्मवीर गुप्ता)।  विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विनायक इंटर कॉलेज में कार्यक्रम आयोजित कर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा उपस्थित छात्र छात्राओं को पौधरोपण और उसके संरक्षण के लिए प्रेरित किया गया। कार्यक्रम के पश्चात वन विभाग ने अपने साथ लाए गए विभिन्न प्रकार के पौधों को विद्यालय के मैदान में रोपित करवाया।
      उपस्थित छात्र-छात्राओं को पर्यावरण के असंतुलन से बिगड़ते मौसम के मिजाज और उत्पन्न होने वाली समस्याओं से अवगत कराते हुए डिप्टी रेंजर एसपी त्रिपाठी ने बताया कि वर्तमान दौर में उत्पन्न प्राकृतिक आपदाएं अंधाधुंध और बिना सोचे समझे किए जा रहे विकास के दौरान पर्यावरण को सुरक्षित रखने वाले पेड़ पौधे और जंतुओं को नष्ट किए जाने का ही परिणाम हैं।   जिन क्षेत्रों से वन पूरी तरह गायब हो गए वहां का जल स्तर काफी नीचे चला गया है और जमीन रेगिस्तान में बदल गई है। मौजूदा दौर में वनों का क्षेत्रफल आबादी की सापेक्ष आवश्यकता से कम है। यदि वर्तमान पीढ़ी पौधरोपण के लिए सचेत नहीं हुई और वृक्ष अंधाधुंध कटते रहे तो एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब व्यक्ति को जीवित रहने के लिए पीठ पर ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर घूमना पड़े। हम सभी जानते हैं कि जीवन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की आपूर्ति इन्हीं पेड़ पौधों के द्वारा की जा रही है। यदि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पुराने वृक्ष काटे जा रहे हैं तो उनके स्थान पर नए पौधों को लगाना हमारी जिम्मेदारी है। वृक्ष न लगाने की स्थिति में ऑक्सीजन के लाले पड़ जाएंगे। कोरोना की बीमारी के दौरान इसे सभी ने महसूस किया है। आज आबादी के मामले में हम दुनिया में सबसे आगे निकल चुके हैं तो वृक्षों के मामले में भी हमें सबसे आगे निकलना होगा। इसके लिए हम सभी को सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। हमें यह प्रयास करना चाहिए कि हम पीपल, पाकड़, बरगद जैसे फाइकस प्रजाति के पौधे लगाएं क्योंकि इनमें ऑक्सीजन अधिक मात्रा में देने की क्षमता होती है। 
  डिप्टी रेंजर ने बताया कि वन संपदा मात्र सरकार को धन और संसाधन उपलब्ध कराने के लिए नहीं है बल्कि किसी देश की वन संपदा उसके निवासियों के सुखमय भविष्य और वर्तमान की मजबूत नींव है। वन और आबादी के मध्य वृक्ष वातावरण को स्वच्छ रखने के साथ ही प्राकृतिक संतुलन बनाने में मददगार होते हैं। इनके सहारे विभिन्न प्रकार के जीव जंतु रहते हैं जो मनुष्य को बेहतर विकास करने में अपने-अपने ढंग से मदद करते हैं। स्वार्थवश मनुष्यों द्वारा उजाड़े जाने के बाद उत्पन्न होने वाली समस्याओं ने अब लोगों की आंखें खोल दी है। जब जागो तभी सवेरा इस उक्ति के साथ यदि हम सब जागरूक होकर अपने दायित्व को पूरा करेंगे तो भरपूर वन संपदा लोगों को बेहतर जीवन देने के साथ निरोगी काया प्रदान करेगी। हमारे वन हमारी परंपरागत चिकित्सा पद्यति आयुर्वेद के मुख्य स्रोत हैं जो मनुष्य के शरीर को निरोगी रखने में मदद करती है। वनौषधि प्रचुर मात्रा में वन क्षेत्र में ही पाई जाती है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के प्रति लोगों का रुझान भी बढ़ रहा है। यह जागरूकता आशा पैदा करती हैं कि यदि हम पर्यावरण के प्रति सजग रहे तो कल सुखद होगा।
        पौधरोपण के बाद उन्हें सुरक्षित रखने की प्रेरणा देते हुए विद्यालय के प्रबंधक राजीव गोयल ने बताया कि पौधरोपण करने से ही समस्याओं का समाधान नहीं हो जाएगा बल्कि पौधरोपण के बाद उन्हें सुरक्षित करने का प्रयास भी हम सभी को करना चाहिए। सुरक्षा और पानी के अभाव में रोपित किए गए पौधे सूख सकते हैं, नष्ट हो सकते हैं और यदि पौधे नष्ट हो गए तो पौध रोपण का लाभ समाज को नहीं मिल सकेगा इसलिए पौधरोपण के बाद उसे बचाने की जिम्मेदारी भी प्रत्येक छात्र छात्रा को उठानी चाहिए।
    विद्यालय के प्राचार्य धर्मवीर गुप्ता ने बच्चों को संबोधित करते हुए बताया कि जिन लोगों के पास खेती योग्य भूमि नहीं है अथवा घर के आसपास खाली भूमि नहीं है वे लोग अपने घर की छतों और बालकोनी में गमलों में तुलसी,अश्वगंधा जैसे औषधीय गुणों से युक्त पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी निभा सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि पौधरोपण 5 जून को ही किए जाएं बल्कि यह प्रक्रिया उस समय भी चलाई जा सकती है जब बारिश का मौसम हो। उस समय पौधे आसानी से पुष्पित पल्लवित हो सकते हैं। 
   कार्यक्रम के बाद विद्यार्थी और वनाधिकारी विद्यालय के मैदान में पहुंचे। वहां वन विभाग द्वारा लाए गए विभिन्न प्रकार के पौधों को रोपित किया गया। बच्चों ने भी पूरे उत्साह से पौधरोपण में अपनी भागीदारी निभाई। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंधन से जुड़े लोगों के अलावा फॉरेस्टर सागर कुशवाहा और अन्य कई वन कर्मचारी भी उपस्थित रहे।

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