● ब्लाक के समस्त 209 परिषदीय विद्यालय स्मार्ट क्लास से हुए आच्छादित
● डीएम के नेतृत्व में अध्यापकों का प्रयास लाया रंग
लखीमपुर खीरी 12 मार्च। कालजयी शायर कृष्ण बिहारी ‘‘नूर’’ की यह पंक्तियां ‘‘मेरे हाथों की लकीरों के इज़ाफे हैं ग्वाह, मैने खुद को तराशा है पत्थरों की तरह’’ विकास खण्ड निघासन के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के दृढ़ इच्छा शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए काफी है। नवाचार के माध्यम से जनपद को एक नई पहचान देने के लिए दृढ़ संकल्पित जिलाधिकारी महेन्द्र बहादुर सिंह की हौसला अफजाई ने ऐसा जज़्बा पैदा कर दिया कि मात्र एक पखवाड़े के अन्दर ब्लाक निघासन के शिक्षकों ने उपलब्ध धनराशि का सदुपयोग करते हुए अपने निजी प्रयासों एवं जनभाागीदारी से शायद असंभव से दिखने वाले लक्ष्य को पूरा करते हुए सभी 209 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की स्थापना कर प्रदेश के अव्वल स्थान प्राप्त कर लिया। निघासन उत्तर प्रदेश के ऐसा पहला ब्लाक है जहाॅ पर सभी 209 विद्यालय स्मार्ट क्लास से सुसज्जित हो गए हैं।
इस ब्लॉक के स्मार्ट क्लास की तस्वीर किसी महानगर के नामचीन पब्लिक स्कूल की नही है बल्कि जनपद लखीमपुर के नेपाल से लगे दूरस्थ सीमावर्ती विकास क्षेत्र निघासन के बेसिक स्कूल्स की है। यहां सभी 209 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास के माध्यम से 56 हजार छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्मार्ट क्लासेज शुरू होने से बच्चों को पढ़ाई के लिए पर्याप्त ई-कंटेंट उपलब्ध हुआ।
● ऑनलाइन रिसोर्स तक होगी पहुंच
बीएसए डॉ लक्ष्मी कांत पांडेय ने बताया कि स्मार्ट क्लास जो न केवल टीचिंग-लर्निंग प्रक्रिया को आनंदमय बना रही, बल्कि बच्चों को बेहतर ढंग से सीखने में मदद भी कर रही है। इसके माध्यम से जहां एक ओर निपुण भारत मिशन कार्यक्रम को सफल क्रियान्वयन में मददगार साबित हो रहा, वही टेक्नोलॉजी के इंटीग्रेशन के साथ-साथ बच्चों की सभी ऑनलाइन लर्निंग रिसोर्स तक पहुंच हो रही है। डीएम महेंद्र बहादुर सिंह की अनूठी, अभिनव पहल "बेस्ट स्कूल ऑफ द वीक" मुहिम का उद्देश्य खीरी के सभी परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले एक-एक बच्चे को शानदार शिक्षा देना है और हम प्रतिबद्धता के साथ इस दिशा में काम कर रहे हैं।
● बदल रही मानसिकता :
बीईओ डॉ बृजेश त्रिपाठी ने कहा कि स्कूलों की सूरत बदलने के साथ अभिभावकों की परिषदीय स्कूलों के प्रति मानसिकता भी बदल रही है। पहले अभिभावकों के दिमाग में जो परिषदीय स्कूलों की छवि होती थी। वह कहीं-न-कहीं बदलती जा रही है। अत्याधुनिक सुविधाओं के मिलने से बच्चों का विकास भी तेजी से हो रहा है। डीएम के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में निघासन ब्लाक के सभी 209 परिषदीय विद्यालयों में चरणबद्ध तरीके से क्लास रूम को स्मार्ट क्लास रूम में तब्दील किया गया।
अभिभावक चंद्रिका प्रसाद पाल बताते हैं कि वह सात किलोमीटर दूरी पर स्थित इस विद्यालय की शैक्षिक माहौल एवं पढ़ाई के स्तर ने उन्हें अपने बच्चों का नाम निजी स्कूलों से कटवाने पर मजबूर कर दिया। आज वह अपने चार बच्चों को इस परिषदीय विद्यालय में छोड़ने जाते हैं।
अभिभावक अनिल वर्मा (पूर्व प्रधान के पुत्र) बताते हैं कि उनके घर के 05 बच्चे प्राथमिक स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं, जो पहले मोहम्मदी के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल में पढ़ रहे थे, जहां से नाम कटवा कर परिषदीय स्कूल में दाखिला कराया है। विद्यालय के पठन-पाठन बड़ी ही उच्च कोटि का है।
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