लखीमपुर खीरी। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत एसएसबी 70 वीं वाहिनी मजरा फार्म में तैनात जवानों को मानसिक रोगों के प्रति जिला स्तरीय टीम द्वारा जागरूक किया गया। इस दौरान उन्हें मानसिक बीमारियों के बारे में जानकारी दी गई। वहीं उनसे खुद को बचाने के मूल मंत्र भी नैदानिक मनोवैज्ञानिक स्तुति कक्कड़ और काउंसलर देवनंदन श्रीवास्तव द्वारा बताए गए।
इस दौरान नैदानिक मनोवैज्ञानिक स्तुति कक्कड़ ने एसएसबी के जवानों को मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक करते हुए बताया कि सभी मानसिक बीमारियां पागलपन नहीं होती हैं, सिर्फ इन्हें समय पर पहचान कर इलाज व काउंसलिंग के माध्यम से इनसे पूरी तरह से निजात मिल सकती है। गृह मंत्रालय के आदेश पर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जन जागरूकता फैलाने और मानसिक बीमारियों को समझने को लेकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डिप्रेशन, इंजाइटी और तमाम तरह के भय व चिंता आगे चलकर मानसिक बीमारियों की वजह बन जाते हैं। ऐसे में जरूरी है की इनके शुरुआती दौर में ही इन्हें पहचान कर इनका उपचार उपयुक्त माध्यम से शुरू कर दिया जाए। इस दौरान उनके द्वारा वन टू वन करके सिपाहियों से उनकी मनो स्थिति के बारे में भी जानकारी इकट्ठा की गई। जिसके बाद एनसीडी काउंसलर देवनंदन श्रीवास्तव द्वारा सभी उपस्थित जवानों को मानसिक बीमारियों के होने के कारणों के बारे में बताते हुए कहा गया कि वर्तमान समय में तमाम तरह के नशे मानसिक बीमारियों का कारण बन जाते हैं। जिनमें शराब, गुटका, खैनी, तंबाकू व पान- मसाला आदि आते हैं। ऐसे में जरूरी है कि इनके सेवन से बचा जाए। शुरुआत में इस प्रकार का कोई भी नशा शरीर पर असर करता नहीं दिखाई देता है, परंतु जैसे-जैसे समय बीतता जाता है वैसे-वैसे इन सभी नशीले पदार्थों के सेवन का असर शरीर सहित मानसिक स्वास्थ्य पर भी दिखने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि इसके बारे में लोगों को सही जानकारी हो और उन्हें इस तरह के किसी भी मादक पदार्थ के सेवन से दूर रखा जाए। खासकर बीएसएफ के जवान जो भारतीय सीमा सुरक्षा में एक अहम भूमिका निभाते हैं इसके बाद मानसिक स्वास्थ्य टीम द्वारा एसएसबी की 70 वीं वाहिनी के सहायक कमांडेंट चिकित्सा डॉ. हिमांशु डबास से जवानों के साथ हुए वन टू वन में निकली समस्याओं पर चर्चा कर उनका निस्तारण करने का अनुरोध किया गया। जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया कि टीम द्वारा सुझाए गए सभी समाधानों को उच्चाधिकारियों के साथ साझा कर जवानों की जरूरतों और इलाज का पूरा ध्यान दिया जाएगा। इस दौरान सभी जवानों को मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक करने वाले पंपलेट का भी वितरण किया गया।
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