Breaking

गुरुवार, 29 दिसंबर 2022

विचार प्रवाह / बालकों के सर्वागीण विकास में बाधक बनता मौसम का भय

बालकों के महानायक बनने में बाधक है सर्दी, गर्मी और बारिश का भय : धर्मवीर गुप्ता
                   
                              धर्मवीर गुप्ता
                    सुबह रामेश्वरम् के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करके रामेश्वरम् शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर उसका वितरण करने वाला बालक आगे चलकर महानायक बना और मिसाइल मैन के नाम से जाना गया। अपने बालपन में बारिश के मौसम में उफनती नदी को तैरकर पढ़ने जाने वाला युवक आगे चलकर भारत का प्रधानमंत्री बना।बारिश के मौसम में बड़े भाई के मना करने के बावजूद भीगते हुए पढ़ने जाने वाला बालक आगे चलकर संविधान का निर्माता बना।  लोगों के हृदय में बसने वाले ये महानायक यदि सर्दी, गर्मी, बारिश से डरते तो क्या राष्ट्र को ए0पी0जे0अब्दुल कलाम, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ0 भीमराव अंबेडकर जैसे महानायक मिल पाते।
                  आज बालकों के हृदय में घर से लेकर बाहर तक इन मौसमों के डर का भाव भरा जा रहा है।हल्की बारिश होने पर माँ कहती है बेटा आज स्कूल मत जा भीग जायेगा। बेटा भी माँ की ममता को देखकर खुशी से उछलता है और विद्यालय नहीं जाता है। इसी तरह थोड़ी सर्दी हुई माँ कहती है बेटा ठंड बहुत है आज स्कूल मत जा बेटा बहुत प्रसन्न होता है गर्मी के मौसम में गर्म हवाएं चलने पर भी माता पिता की स्थिति यही होती है। बेटे को प्रसन्न देखकर माता पिता भी प्रसन्न होते है किन्तु वे भूल जाते हैं कि यह डर उन्हें कमजोर करता है। सर्दी ,गर्मी और वर्षा तो ऋतु चक्र हैं। चार माह बारिश के ,चार माह सर्दी के व चार माह गर्मी के, वर्षा में बारिश होगी, गर्मी में गर्मी होगी, सर्दी में सर्दी भी होगी तो क्या इन सभी मौसमों का भय बालकों में बिठाया जाना चाहिए। जिन बालकों में ये डर बैठ गये वे सामान्य जीवन तो जी सकते है किंतु महानायक नहीं बन सकते हैं।
                  महानायक बनने चाह रखने वाले किशोर और युवा इन ऋतुओं के कहर से नहीं डरते हैं और न ही अपने पुत्र या पुत्री को महानायक के रूप में देखने का स्वप्न देखने वाले माता पिता उन्हें इन ऋतुओं से डराते हैं। हाँ वे इन ऋतुओं के प्रभाव को अपने बालकों पर पड़ने से रोकने का प्रयत्न करने के लिए यथाशक्ति विभन्न उपाय करते हैं। जैसे बारिश के लिए छाते की व्यवस्था, सर्दी के लिए गर्म कपड़ों की व्यवस्था।
                  नेता का बेटा आसानी से नेता बन सकता है क्योंकि उसे राजनीतिक गुण विरासत में मिलता है। एक व्यवसायी का बेटा आसानी से व्यवसाय कर सकता है क्योंकि वह व्यवसाय के माहौल में पला बढ़ा है। अधिकारी का बेटा आसानी से सरकारी नौकरी प्राप्त कर सकता है किन्तु एक मजदूर का बेटा एक बड़ा नेता, एक बड़ा अधिकारी, या एक बड़ा व्यवसायी तभी बन सकता है जब वह ज्ञान के खजाने से सबसे अधिक मालामाल हो जाये क्योंकि ज्ञान का खजाना और विरासत में मिली कड़ी मेहनत करने की शक्ति उन्हें उन सबसे अलग कर देगी और वह मजदूर का बेटा महानायक के रूप में उभरेगा। यह तभी होगा जब उसमे ज्ञान पिपासा की भावना जाग्रत होगी और वह ऋतुओं के कहर से डरने वाला नहीं होगा। प्रत्येक  माता-पिता को इस पर चिंतन करना चाहिए।
                   यद्यपि शासन द्वारा सर्दियों में किये जाने वाले अवकाश नौनिहालों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है किंतु क्या अन्य कोई व्यवस्था इन नौनिहालों की सुरक्षा के लिए नहीं किये जा सकते हैं। यदि शिक्षण कार्य जारी रखते हुए इनकी सुरक्षा के उपाय किये जा सके जिससे कि उनमें इन ऋतुओं का भय न भर सके तो शायद कुछ अच्छा हो सके। यह भी किया जा सकता है कि शिक्षण संस्थाओं में छात्रों की संख्या के अनुपात में अलाव की व्यवस्था की जा सकती है या ग्रीष्मावकाश की तरह शीतावकाश भी निर्धारित किया जा सकता है। या उन्हीं विद्यालयों को मान्यता देने की शर्त रखी जा सकती है जो सभी  ऋतुओं में शिक्षण कार्यो के अनुकूल हो। उपाय चाहे जो भी किये जायें किन्तु इनका भय बालकों में न भरा जाये तब निश्चित ही राष्ट्र को एक नहीं कई महानायक मिलेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Comments