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मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

जब भी धरती पर संकट उत्पन्न होता है, ईश्वर अवतार लेते हैं - जगद्गुरु शंकराचार्य

प्रयागराज (एल एन सिंह)। श्री मज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज के संरक्षण एवं सानिध्य में स्वामी शांतानंद सरस्वती महाकक्ष (हॉल) में चल रहे आराधना महोत्सव में परम्पूज्य जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी एवं आचार्य जितेन्द्रनाथ महाराज श्रीनाथ पीठ श्रीदेवनाथ मठ सुर्जी अंजनगाँव अंजनीग्राम जनपद अमरावती द्वारा उद्घोषित जय गोविन्द-जय गोपाल के जयकारे से गूँज रहे कक्ष में भगवान कृष्ण के जन्म अवतार की कथा हुई। पूज्य व्यास जी ने बताया कि जब भगवान कृष्ण के जन्म का समय आया तो उनके माता-पिता वसुदेव और देवकी जेल में थे तभी उनके हाथ की हथकड़ियाँ खुल गई। जेल के सभी रक्षक सो गये थे। महाराज वसुदेव कृष्ण जी को लेकर चुपचाप जेल से बाहर की ओर चले। जेल के जिस फाटक पर पहुँचते थे उसका ताला अपने-आप खुल जाता था और वसुदेव जी महाराज कृष्ण भगवान को लिये हुये फाटक पार कर जाते थे। भयंकर बाढ़ की जमुनाजी के बीच नदी पार करते हुये नंद जी के यहाँ पहुँचे जहाँ यशोदा जी को मायारूप देवी जी का जन्म कन्या के रूप में हो चुका था। वसुदेव जी ने भगवान कृष्ण को वहाँ छोड़कर वहाँ से वही कन्या लेकर वापस जेल आ गये। इस बीच व्यास जी के गीत-भजनों के बीच भक्तों से भरा खचाखच हॉल पूरे हावभाव से भजन गाने और नाचने लगे। बार-बार भगवान कृष्ण की जय का गगनचुम्बी उद्घोष हो रहा था। पूज्य श्रीज्योतिष्पीठजगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने मिठाई, टॉफी, बिस्कुट, गुब्बारे और खिलौने भारी संख्या में उपस्थित पुरुष/महिला एवं बच्चों को वितरित किया और भगवान कृष्ण जन्म की खुशिहाली मनाते हुये रूपये भी लुटाये। इसी बीच कंस को मालूम हुआ कि देवकी को आठवीं संतान उत्पन्न हो चुकी है तब वह उसकी हत्या करने के लिए जेल पहुँचा जहाँ से वसुदेव की संतान (पुत्र) को यशोदा जी के पास पहुँचाकर वहाँ से उनकी कन्या को लाकर पुत्र की जगह रखा गया था, उसी कन्या को आठवीं संतान मानकर कंस ने उसका वध करना चाहा किन्तु वह आकाश में उड़ गई और कंस को आकाशवाणी द्वारा सच्चाई का ज्ञान कराया। भगवान कृष्ण के जन्म के समय की स्थिति-परिस्थिति, संत-महात्माओं और देवताओं के मन में अतिप्रसन्नता का बड़ा ही लोकलुभावन, मनभावन कथानक पूज्य व्यास जी ने सुनाया। 
उक्त अवसर पर श्रीमद्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने साधु-संत, गौ पर संकट आने और धर्म का अभाव एवं धर्म विरोधियों का आतंक होने पर ईश्वर मानव रूप में अवतार लेने का विस्तार से वर्णन करते हुये कहा कि भगवान कृष्ण के आने के बाद ही तमाम संत-महात्माओं को यज्ञ-पूजन व सत्कर्म करने वाले लोगों को सहायता एवं सहयोग करने के लिये भगवान कृष्ण ने बड़ा पराक्रम किया। धर्म विरोधियों का संहार भी किया। इसके पहले पूज्य शंकराचार्य जी ने पूर्वान्ह 11ः00 बजे त्रिवेणी बांध श्रीराम-जानकी मंदिर में भगवान राम-सीता, लक्ष्मण एवं हनुमान जी आदि मूर्तियों का भव्य पूजन एवं आरती किया। 
श्रीमद्ज्योतिष्पीठ प्रवक्ता ओंकारनाथ त्रिपाठी ने बताया कि 6, 7 एवं 8 दिसम्बर 2022 को भी कथा पूजन का कार्यक्रम एवं रूद्र महायज्ञ का कार्यक्रम पहले की भाँति चलता रहेगा। 7 दिसम्बर को श्रीमद्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद सरस्वती जी की जयंती एवं शिखा (चोटी) प्रतियोगिता भी होगी। 
आज के कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दण्डी स्वामी विनोदानंद सरस्वती, दण्डी स्वामी शंकरानंद सरस्वती, दण्डी स्वामी शिवानंद, माता कल्याणी देवी मन्दिर पीठाधीश्वर, ब्रह्मचारी आत्मानंद जी, आचार्य शिवार्चन उपाध्याय शास्त्री जी, सत्य प्रकाश त्रिपाठी, आचार्य अभिषेक मिश्रा, आचार्य विपिन शास्त्री, आचार्य मनीष जी, वेद प्रकाश शर्मा, राम अधार शर्मा, दिनेश शर्मा, राजेश राय, सीताराम शर्मा, जशोदानंदन तिवारी, ब्रह्मचारी जितेन्द्र जी, आचार्य रोहित, कृष्ण भगवान केसरवानी, प्रदीप कुमार पाण्डेय आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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