प्रति वर्ष वैकुण्ठ चतुर्दशी (कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की चौदस) के दिन मणिकर्णिका घाट पर स्नान का महत्व बताया गया है, इस दिन घाट पर स्नान से पाप से मुक्ति मिलती हैं. इस वर्ष 2022 में यह स्नान 7 नवंबर को किया जायेगा .
मणिकर्णिका घाट में वैकुण्ठ चौदस के दिन श्रद्धालु रात्रि के तीसरे पहर स्नान करने आते हैं, कार्तिक माह का विशेष महत्त्व होने के कारण इस घाट पर भक्तों का ताता लगा रहता हैं .
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब माता सति ने अपने पिता के व्यवहार से नाराज होकर अपने आप को अग्नि में समर्पित कर दिया था . तब स्वयं शिव माता सति के शरीर को लेकर कैलाश पर जा रहे थे . तब उनके शरीर का एक एक हिस्सा पृथ्वी पर गिर रहा था . कहते हैं उन सभी स्थानों पर शक्ति पीठ की स्थापना की गई हैं इस प्रकार पृथ्वी पर 51 शक्ति पीठ हैं . उसी समय माता सति के कान का कुंडल वाराणसी के इस घाट पर गिर जाता हैं . तब ही से इस घाट को मणिकर्णिका के नाम से जाना जाता हैं।
इसके आलावा एक और कथा कही जाती हैं . एक समय जब भगवान शिव हजारो सालों की योग निंद्रा में थे, तब विष्णु जी ने अपने चक्र से एक कुंड को बनाया था जहाँ भगवान शिव ने तपस्या से उठने के बाद स्नान किया था और उस स्थान पर उनके कान का कुंडल खो गया था जो आज तक नहीं मिला . तब ही से उस कुंड का नाम मणिकर्णिका घाट पड़ गया .ऐसा कहा जाता हैं आज भी इस स्थान पर जिसका दाह संस्कार किया जाता हैं, उससे पूछा जाता हैं कि क्या उसने भगवान शिव के कान के कुंडल को देखा
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