🔘 51 शक्तिपीठ में प्रवहमान हुई काव्य-सरस्वती, चतुर्थ कवि सम्मेलन बना साहित्यिक साधना का अद्भुत पर्व
बख्शी का तालाब, लखनऊ। 51 शक्तिपीठ तीर्थ का पावन प्रांगण उस समय काव्य-रसधारा से सराबोर हो उठा, जब ब्रह्मलीन पंडित रघुराज दीक्षित ‘मंजु’ की पवित्र स्मृति को समर्पित चतुर्थ विराट कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। तीर्थ के कविहृदय व्यवस्थापक भानु सिंह ‘मृगराज’ के सुव्यवस्थित संचालन और हास्य-व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर चेतराम अज्ञानी के प्रभावी संयोजन ने इस आयोजन को साहित्य जगत में एक यादगार अध्याय बना दिया।
दोपहर से प्रारंभ हुआ यह कवि सम्मेलन गोधूलि-वेला तक श्रोताओं के हृदय में ध्वनित-प्रतिध्वनित होता रहा। प्रत्येक काव्य-वाचक ने सीमित समय में अपनी सारगर्भित प्रस्तुति से वातावरण को उत्कृष्टता की नई ऊँचाइयों तक पहुँचा दिया। समापन सत्र में चिन्मय मिशन, लखनऊ के परमादरणीय स्वामी कौशिक चैतन्य महाराज का सारस्वत उद्बोधन समस्त उपस्थितजनों को आध्यात्मिक आलोक से अभिभूत करता रहा। उनके ओजस्वी विचारों ने कवि सम्मेलन को एक दिव्य अनुभूति में रूपांतरित कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रायबरेली से पधारे संवेदनाभिव्यक्ति के सशक्त गीतकार सतीश सिंह ने की। अपने भावप्रधान गीतों से उन्होंने सभागार में भावनाओं का अनुपम प्रवाह बहा दिया। वहीं गीत-ग़ज़लों के पुरोधा श्री नीरज पाण्डेय ने लयात्मक और संतुलित संचालन से सम्मेलन को व्यापक गरिमा प्रदान की। ओज की प्रखर कवयित्री डॉ. सरला शर्मा ने अपनी विशेष शैली में जगज्जननी माँ भगवती और भगवान शिव का स्तवन कर पूरे सभागार में भक्ति, शक्ति और ओज की अमिट छाप छोड़ी। सम्मेलन को स्मरणीय बनाने में बाराबंकी के ओजकवि शिवकुमार व्यास, हैदरगढ़ के गीतकार शिवकिशोर तिवारी ‘खंजन’, औरैया के ओजकवि गोपाल पाण्डेय, रायबरेली के हास्यकवि संदीप शरारती तथा बाराबंकी के हास्यकवि संदीप अनुरागी की ऊर्जावान प्रस्तुतियों ने विशेष भूमिका निभाई। उनकी काव्यगूँज बार-बार तालियों की गड़गड़ाहट में तब्दील होती रही। कार्यक्रम का उद्घाटन एस. आर. इंस्टीट्यूशन्स के चेयरमैन प्रवीण सिंह ने किया।
इस अवसर पर शिक्षाविद तथा समाजसेवी निर्मल कुमार श्रीवास्तव, श्रीप्रकाश श्रीवास्तव, संतोष वर्मा और पंकज सिंह एडवोकेट को सम्मानित किया गया। तीर्थ की अध्यक्ष तृप्ति तिवारी ने अपने संबोधन में पूज्य पिताजी पंडित रघुराज दीक्षित ‘मंजु’ के साहित्यिक योगदान का उल्लेख करते हुए सभी सुकवि-जनों और श्रोताओं के प्रति हृदयाभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में तीर्थ संस्थापिका पुष्पा दीक्षित, महासचिव वरद तिवारी, प्रधान पुरोहित आचार्य धनंजय पाण्डेय, आचार्य अनुराग पाण्डेय सहित अनेक विद्वान पुरोहितों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कुल मिलाकर 51 शक्तिपीठ तीर्थ का यह विराट कवि सम्मेलन साहित्य, भक्ति और संस्कारों का ऐसा संगम सिद्ध हुआ जिसने सभी के मन में काव्य-सरस्वती का अविरल प्रवाह साकार कर दिया। यह आयोजन न केवल श्रद्धांजलि था, बल्कि साहित्यिक परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रेरणादायी संकल्प भी एक ऐसी स्मृति, जो आने वाले वर्षों तक साहित्य रसिकों को अनुप्राणित करती रहेगी।
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