🔘 डॉ. वी. बी. धुरिया के अंतर्राष्ट्रीय शोध ने सनातन दर्शन को वैज्ञानिक दृष्टि से दिया नया आयाम
लखीमपुर खीरी। खीरी जनपद की धरती ने एक बार फिर ज्ञान और शोध के क्षेत्र में स्वर्ण अक्षरों से अपना नाम अंकित किया है। जनपद के प्रख्यात समाजसेवी, चिकित्सा वैज्ञानिक एवं दार्शनिक विचारक डॉ. धुरिया ने भारतीय पवित्र सनातन संस्कृति और चिकित्सा विज्ञान के गूढ़ संबंध पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक अद्वितीय शोध प्रस्तुत किया है।
वर्ष 2024 के जून माह में प्रकाशित यह शोधपत्र प्रतिष्ठित "African Journal of International Bio Research" में स्थान प्राप्त कर चुका है, जो अपने आप में भारत की वैदिक परंपरा और वैज्ञानिक चेतना के समन्वय का प्रमाण है। डॉ. धुरिया ने अपने शोध में यह दर्शाया कि भारतीय सनातन आर्य संस्कृति में निहित आध्यात्मिक तत्व और चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांत न केवल शारीरिक अपितु मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक स्वास्थ्य के संवर्धन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने यह भी चेताया कि यदि आधुनिकता के नाम पर मनुष्य अपनी सांस्कृतिक जड़ों से कटता गया, तो भावी पीढ़ियाँ शारीरिक सुख-सुविधाओं के बावजूद मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक स्थिरता से वंचित रह जाएँगी। समाज को जागरूक करते हुए डॉ. धुरिया ने कहा कि विज्ञान और संस्कृति विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं। चिकित्सा का वास्तविक उद्देश्य केवल रोग का निवारण नहीं, बल्कि जीवन में संतुलन और सद्भाव की स्थापना है। उनके इस शोध कार्य की सराहना अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान समिति एवं अफ्रीकन एजेंसी द्वारा की गई है। डॉ. धुरिया ने भी इस उपलब्धि को मानवता, भारतीय संस्कृति और अपने गुरुजनों को समर्पित करते हुए समिति के विशेषज्ञों का हार्दिक आभार व्यक्त किया। बताते चलें डॉ. धुरिया के अब तक के समाजसेवी, चिकित्सकीय और वैचारिक योगदान ने न केवल जनपद का गौरव बढ़ाया है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश भी दिया है कि भारत की सनातन परंपरा ही विश्व के लिए स्थायी शांति और स्वास्थ्य का आधार है।
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