आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज (सी.बी.एस.ई. बोर्ड), लखीमपुर खीरी में राष्ट्रगीत “वंदे मातरम” की 150वीं वर्षगांठ श्रद्धा, हर्षोल्लास एवं देशभक्ति की भावना के साथ मनाई गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां भारती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। तत्पश्चात प्रधानाचार्य श्री अरविंद सिंह चौहान जी, समस्त आचार्यगण, आचार्या बहनें, कर्मचारी भैया-मैया एवं छात्र-छात्राओं ने एक स्वर में “वंदे मातरम” का सस्वर गान किया, जिससे पूरा प्रांगण देशभक्ति के स्वर से गूंज उठा।
प्रधानाचार्य श्री अरविंद सिंह चौहान ने अपने उद्बोधन में कहा कि “वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह भारतमाता की आराधना और राष्ट्रभावना का प्रतीक है। इस गीत ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान असंख्य वीरों को मातृभूमि के लिए बलिदान देने की प्रेरणा दी थी। हमें इसकी भावनाओं को अपने आचरण में उतारना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रगीत का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से गहराई से जुड़ा हुआ है। महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में इसे संस्कृत व बंगला मिश्रित भाषा में रचा था और 1882 में उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में प्रकाशित किया गया। 1896 में कांग्रेस अधिवेशन में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इसे पहली बार गाया, जिसके बाद यह स्वतंत्रता आंदोलन का प्राणगीत बन गया।
कार्यक्रम में सभी ने “वंदे मातरम” के आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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