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शनिवार, 8 नवंबर 2025

"नक्शा": विश्वसनीय भू-अभिलेखों और नागरिक सशक्तिकरण के लिए एक नई पहल

"नक्शा": विश्वसनीय भू-अभिलेखों और नागरिक सशक्तिकरण के लिए एक नई पहल

"नक्शा" आपकी भूमि की डिजिटल पहचान का प्रतीक


 लेखक: शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, भारत सरकार 


जब भारत एक समावेशी और विकसित भविष्य की कल्पना करता है, तो इसका सबसे मज़बूत आधार-स्तंभ भूमि है। चाहे घर हो, खेत हो, दुकान हो या स्मार्ट सिटी का सपना हो - विकास का प्रत्येक रूप भूमि पर अवस्थित होता है। हालाँकि, सच्चाई यह है कि वर्षों से हमारे भू-अभिलेख अधूरे, भ्रामक और अक्सर विवादों में उलझे रहे हैं। परिणामस्वरूप, आम नागरिकों को संपत्ति खरीदने, ज़मीन विरासत में प्राप्त करने, ऋण प्राप्त करने या सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। 

इन दीर्घकालिक समस्याओं के समाधान के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में, ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत भूमि संसाधन विभाग ने "नक्शा" (राष्ट्रीय शहरी निवास-स्थल भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित भूमि सर्वेक्षण) कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह भारत में भूमि प्रबंधन, प्रशासन और भूमि-रिकॉर्ड रख-रखाव में बदलाव लाने की एक पहल है। यह कार्यक्रम एक पारदर्शी, डिजिटल और सत्यापित भू-अभिलेख प्रणाली का निर्माण कर रहा है, जो न केवल नागरिकों के जीवन को आसान बनाएगी, बल्कि कस्बों और शहरों के विकास को भी गति प्रदान करेगी।

भारत में, भूमि पंजीकरण लंबे समय से एक जटिल व दस्तावेज-आधारित प्रक्रिया रही है। बिक्री विलेख, स्टाम्प शुल्क, पंजीकरण शुल्क, पटवारी सत्यापन और तहसील स्तर पर प्रस्तुतियाँ – ये सभी नागरिकों के लिए पूरी प्रणाली को बोझिल बना देती थीं। पुराने रजिस्टर और फाइलों में न केवल त्रुटियां मौजूद थीं, बल्कि इनमें आसानी से छेड़छाड़ की जा सकती थी, जो कई विवादों का मूल कारण होता है। अस्पष्ट संपत्ति अभिलेखों की वजह से बैंकों से ऋण प्राप्त करने की संभावना कम हो गयी थी।

उत्तराधिकार या दाखिल-खारिज की प्रक्रिया अक्सर वर्षों तक अदालतों में अटकी रहती थी। गलत माप, अस्पष्ट सीमाएँ और स्थानीय राजनीतिक हस्तक्षेप ने इन समस्याओं को और गंभीर बना दिया। यही कारण है कि लाखों भारतीयों के लिए, सुरक्षा के स्रोत के रूप में भूमि का महत्त्व कम होता गया और यह जोखिम का प्रमुख स्रोत बन गई।

नक्शा: डिजिटल पारदर्शिता की ओर कदम

नक्शा कार्यक्रम, सटीक और डिजिटल भू-रिकॉर्ड तैयार करने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण, जीएनएसएस मानचित्रण और जीआईएस उपकरण जैसी उन्नत तकनीकों का लाभ उठाता है। इस पहल के तहत, नागरिकों को ‘योरप्रो’ (शहरी संपत्ति स्वामित्व रिकॉर्ड) कार्ड मिलता है, जो स्वामित्व का एक डिजिटल प्रमाण है और संपत्ति के लेन-देन को आसान बनाता है। सरकार  ‘योरप्रो’ कार्यक्रम को समर्थन दे रही है। नक्शा के साथ, लोगों को अब स्वामित्व की पुष्टि के लिए दस्तावेजों या बिचौलियों पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं है। इससे ऋण प्राप्त करने, बिक्री पूरी करने, उत्तराधिकार प्राप्त करने और विवादों का निपटारा करने की प्रक्रिया तेज़ और अधिक पारदर्शी हो गयी है। अंततः, नक्शा केवल एक तकनीकी सुधार नहीं है - यह नागरिक सशक्तिकरण, समानता और भू-स्वामित्व में कानूनी आश्वासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

नक्शा कार्यक्रम मुख्य रूप से उन नागरिकों को लाभान्वित करता है, जो लंबे समय से अधूरे या अप्रचलित भू-दस्तावेजों पर निर्भर रहे हैं। नगरपालिकाओं और स्थानीय परिषदों के पास अब स्वच्छ, सटीक भू-स्थानिक डेटा तक पहुँच की सुविधा है, जिससे बेहतर निर्णय लेना और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। नागरिक आसानी से ऑनलाइन प्रारूप मानचित्र देख सकते हैं और आपत्तियाँ दर्ज कर सकते हैं, जिससे इस प्रक्रिया में जनता की भागीदारी सुनिश्चित होती है। यह डिजिटल प्रणाली कराधान को अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी बनाती है, साथ ही शहरी नीति-निर्माण और अवसंरचना डिज़ाइन की सटीकता और गति में सुधार करती है। संक्षेप में, जो भू-रिकॉर्ड कभी धूल भरे रजिस्टरों में केवल हस्तलिखित प्रविष्टियों के रूप में मौजूद था, वह अब रंगीन, इंटरैक्टिव और पारदर्शी डिजिटल मानचित्रों में विकसित हो गया है। यह आधुनिक, डेटा-संचालित शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

नक्शा कार्यक्रम का प्रभाव व्यक्तिगत स्वामित्व और प्रशासनिक दक्षता से कहीं आगे तक फैला हुआ है और यह आपदा प्रबंधन और शहरी नीति-निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में उभर रहा है। अवस्थिति की ऊँचाई का विस्तृत डेटा प्रदान करके, यह लोगों को बाढ़-जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने में सक्षम बनाता है, जबकि चक्रवात, भूकंप या आग की स्थिति में, यह बिना किसी देरी के बचाव और राहत कार्यों को शुरू करने की सुविधा देता है। सत्यापित डिजिटल स्वामित्व रिकॉर्ड यह भी सुनिश्चित करते हैं कि मुआवजा और सहायता सही लाभार्थियों तक शीघ्रता से पहुँचे। इससे आपदा के बाद, पूर्वस्थिति को बहाल करने की प्रक्रिया अधिक कुशल हो जाती है। इसके अलावा, नक्शा संतुलित और सतत अवसंरचना विकास को बढ़ावा देकर दीर्घकालिक शहरी सुदृढ़ता का समर्थन करता है।  
     
अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और दिव्यांगजनों जैसे कमजोर समूहों के लिए, नक्शा सुरक्षा और सुलभता प्रदान करता है—उन्हें संपत्ति के रिकॉर्ड ऑनलाइन देखने और सत्यापित करने की सुविधा देता है, किसी भी धोखाधड़ी और अतिक्रमण के जोखिम को कम करता है, और सरकारी कार्यालयों के बार-बार चक्कर लगाए बिना आसान पहुँच सुनिश्चित करता है। संक्षेप में, नक्शा केवल एक तकनीकी सुधार नहीं है, बल्कि दुनिया भर के उन नागरिकों के लिए विश्वास और सशक्तिकरण का प्रतीक है, जिनकी भारत की भूमि और इसके भविष्य में हिस्सेदारी है।

विकसित भारत की आधारशिला 
भारतीय इतिहास में, भूमि विवादों ने अक्सर असमानता, संघर्ष और विलंब को जन्म दिया है—लेकिन नक्शा कार्यक्रम भूमि प्रशासन प्रणाली को पारदर्शी, कुशल और नागरिक-केंद्रित बनाकर इस विरासत को बदल रहा है। स्मार्ट शहर, पीएम गति शक्ति और पीएम स्वनिधि जैसे राष्ट्रीय मिशनों के साथ एकीकरण के जरिये, नक्शा भारत के विकास-केंद्रित भविष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन रहा है। यह न केवल स्थानीय शासन को मज़बूत करता है, बल्कि नागरिक भागीदारी, सशक्तिकरण और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देता है, जिससे अधिक निवेश और रोज़गार सृजन का मार्ग प्रशस्त होता है।

आख़िरकार, भूमि सिर्फ़ एक भौतिक संपत्ति नहीं है—यह प्रत्येक भारतीय नागरिक की पहचान और विरासत है। दशकों से, यह विरासत अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के आवरण से ढँकी हुई थी, लेकिन नक्शा विश्वास, पारदर्शिता और समानता का अमृत काल प्रस्तुत कर रहा है। सुरक्षित, सत्यापित डिजिटल भूमि रिकॉर्ड के साथ, अब नागरिकों के पास सचमुच अपने सपनों की कुंजी है—जो भारत को एक अधिक न्यायसंगत, पारदर्शी और विकसित भविष्य की ओर ले जा रही है।   

केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री

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