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शनिवार, 8 नवंबर 2025

पंजाब विश्वविद्यालय 6 से 9 दिसंबर तक 11वां इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल आयोजित करेगा

पंजाब विश्वविद्यालय 6–9 दिसंबर तक 11वां इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल आयोजित करेगा


चंडीगढ़, 8 नवंबर 2025: पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ 6 से 9 दिसंबर 2025 तक 11वां इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (IISF-2025) की मेज़बानी करेगा।

डॉ. एम. रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES); प्रो. रेणु विग, कुलपति, पीयू; डॉ. सूर्यचंद्र राव, निदेशक, IITM पुणे; श्री शिव कुमार शर्मा, राष्ट्रीय आयोजन सचिव, विज्ञान भारती; प्रो. योजना रावत, डीन ऑफ यूनिवर्सिटी इंस्ट्रक्शन; प्रो. मीनाक्षी गोयल, निदेशक, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ; डॉ. अरविंद सी. रानाडे, निदेशक, राष्ट्रीय नवाचार फाउंडेशन, गांधीनगर एवं राष्ट्रीय आयोजक, IISF-2025; एवं प्रो. गौरव वर्मा, समन्वयक, IISF ने आज चंडीगढ़ में इस भव्य अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव की उलटी गिनती के आरंभ को चिह्नित करने के लिए साइकिल रैली को झंडी दिखाकर रवाना किया। श्री धर्म पाल, पूर्व सलाहकार, प्रशासक, यू.टी. चंडीगढ़ भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

कर्टन-रेज़र कार्यक्रम में बड़ी संख्या में वैज्ञानिक, संकाय, गणमान्य व्यक्ति एवं पंजाब विश्वविद्यालय के विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों और विभागों के सैकड़ों विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES), भारत सरकार द्वारा पंजाब विश्वविद्यालय, DST, DBT, CSIR, DoS, DAE तथा विज्ञान भारती (VIBHA) के सहयोग से लॉ ऑडिटोरियम, चंडीगढ़ में किया गया। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे IISF-2025 के मुख्य संचालक संगठन हैं।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. एम. रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) ने कहा कि विज्ञान को प्रतिदिन की शिक्षा का अभिन्न अंग बनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा, “विज्ञान को विद्यार्थियों के बीच इस प्रकार समाहित किया जाना चाहिए कि यह और अधिक व्यावहारिक और सरल लगे।” उन्होंने युवाओं को इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (IISF) में सक्रिय रूप से भाग लेने तथा ‘विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत के लिए' की दिशा में योगदान देने को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि IISF, मंत्रालय का वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य देश के युवाओं के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को बढ़ावा देना है। यह महोत्सव छात्रों को विज्ञान विषय चुनने और यह समझने के लिए प्रेरित करता है कि, विज्ञान कैसे राष्ट्रीय विकास की दिशा तय कर सकता है।

“हम 2047 तक विकसित भारत की दिशा में कार्य कर रहे हैं। इसके लिए युवाओं को ऐसी प्रौद्योगिकियाँ विकसित करनी होंगी, जो वाणिज्यिक उपयोग के लिए उपयुक्त हों। हम नवाचार को सशक्त करने और वैज्ञानिक सोच को पोषित करने वाला इकोसिस्टम बना रहे हैं,” डॉ. रविचंद्रन ने कहा। “इस वर्ष का IISF विशेष रूप से उत्तर पश्चिम भारत पर केंद्रित है, हम देख रहे हैं कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी किस तरह मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और क्षेत्र सहित देश की सामाजिक चुनौतियों के समाधान में कैसे अपनी भूमिका निभा सकते हैं,” उन्होंने आगे कहा।

एक प्रश्न के उत्तर में, डॉ. रविचंद्रन ने बताया कि भारत मौसम पूर्वानुमान की सटीकता और तैयारियों को बढ़ाने के लिए प्रेक्षण प्रणालियों के नेटवर्क और संबंधित सुविधाएँ बढ़ाईं जी रहीं हैं।

उद्घाटन भाषण में, पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. रेणु विग ने उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों, अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने युवाओं में वैज्ञानिक जिज्ञासा और नवाचार को बढ़ावा देने वाले मंच के रूप में IISF का महत्व रेखांकित किया। “IISF-2025 भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों का उत्सव मनाने के साथ-साथ छात्रों और शोधार्थियों को विज्ञान एवं नवाचार के माध्यम से राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित करेगा,” उन्होंने कहा। उन्होंने बताया कि महोत्सव के अंतर्गत कई प्रदर्शनियां भी लगाई जाएंगी। उन्होंने उत्तर भारत के सभी भागों के विद्यार्थियों से IISF-2025 में पंजीकरण कर इस विज्ञान उत्सव में भाग लेने का आह्वान किया।

IITM पुणे के निदेशक डॉ. सूर्यचंद्र राव ने अपने प्रस्तुतीकरण में आगामी विज्ञान महोत्सव की थीम व कार्यक्रम का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि IISF-2025 भारत की तकनीकी उपलब्धियों के प्रदर्शन तथा विज्ञान संचार, नवाचार व सहयोग के रास्ते खोलने का लक्ष्य रखता है।

इस अवसर पर विज्ञान भारती के राष्ट्रीय आयोजन सचिव श्री शिव कुमार शर्मा ने विज्ञान की परिवर्तनकारी यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा, “एक समय था जब लोग बहस करते थे कि विज्ञान वरदान है या अभिशाप, लेकिन आज विज्ञान नवाचार की नींव बन गया है, जिसने हमारे चारों ओर की दुनिया को नया स्वरूप दिया है।”

कार्यक्रम का समापन प्रो. मीनाक्षी गोयल, निदेशक, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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