फरीदाबाद, हरियाणा। सहकारी संघवाद की नई धार और ‘टीम भारत’ की भावना को साकार करते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह आगामी सोमवार, 17 नवंबर 2025 को फरीदाबाद में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 32वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे। उत्तर भारत के विशाल भूगोल और बहुरंगी प्रशासनिक संरचना को संगठित संवाद के सूत्र में पिरोने वाली यह बैठक हरियाणा सरकार की मेज़बानी में, गृह मंत्रालय के अंतर-राज्य परिषद सचिवालय द्वारा आयोजित की जा रही है।
यह परिषद हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और चंडीगढ़ जैसे विविधतापूर्ण राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों को एक साझा मंच पर लाती है जहाँ विकास, सुशासन और सहयोग का समवेत संगीत गूंजता है। परिषद की यह व्यवस्था 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 15 से 22 के अंतर्गत स्थापित की गई थी, जिसने देश के संघीय ढांचे को मजबूती देने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है।
श्री अमित शाह परिषद के अध्यक्ष हैं, जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में इसकी कार्यप्रणाली को दिशा देते हैं। हर वर्ष सदस्य राज्यों में से एक मुख्यमंत्री उपाध्यक्ष की भूमिका में होते हैं, जो परिषद में निरंतरता एवं प्रगतिशील नेतृत्व का भाव सुनिश्चित करता है। परिषद की स्थायी समिति मुख्य सचिवों के स्तर पर कार्य करती है, जहाँ राज्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर प्राथमिक चर्चा होती है और फिर चयनित विषय परिषद की पूर्ण बैठक में प्रस्तुत किए जाते हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘मजबूत राज्य—मजबूत राष्ट्र’ के सूत्रवाक्य और सहकारी संघवाद की दूरदर्शी अवधारणा को सार्थक करने में क्षेत्रीय परिषदें आज महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति बन चुकी हैं। पिछले 11 वर्षों में क्षेत्रीय परिषदों और उनकी स्थायी समितियों की 63 बैठकों का सफल आयोजन इस तथ्य का प्रमाण है कि यह मंच केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि समन्वय, समाधान और संवेदनशील शासन का वास्तविक आधार बन चुका है।
परिषद के मंच पर राष्ट्रीय महत्व के अनेक मुद्दों पर सारगर्भित विमर्श होता है—चाहे वह महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों की त्वरित सुनवाई हेतु फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों का विस्तार हो, ERSS-112 आपातकालीन प्रणाली का प्रभावी क्रियान्वयन,
हर गांव तक बैंकिंग सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण,
या फिर पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत सुधार, शहरी नियोजन तथा सहकारिता तंत्र को मजबूत करने जैसे व्यापक विषय।
यह परिषद केवल विवादों के समाधान का मंच नहीं, बल्कि विचारों, दृष्टि और विकास के समन्वय का वह जीवंत पटल है जहाँ संवाद नीति में बदलता है और नीति जनहित में क्रियान्वित होती है।
आगामी 32वीं बैठक से यह अपेक्षा है कि उत्तर भारत के प्रदेशों के बीच सहयोग का सेतु और अधिक प्रगाढ़ होगा, और ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण में परिषद की भूमिका एक बार फिर अपने सर्वोत्तम रूप में सामने आएगी।
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