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शुक्रवार, 7 नवंबर 2025

वंदे मातरम्” की 150वीं जयंती विशेष : “राष्ट्रगीत का प्रत्येक शब्द जगाता है चेतना, संचारित करता है नवजीवन”

🔘 वंदे मातरम्” की 150वीं जयंती विशेष : “राष्ट्रगीत का प्रत्येक शब्द जगाता है चेतना, संचारित करता है नवजीवन”

लखीमपुर खीरी। “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूर्ण होने के पावन अवसर पर आयोजित राष्ट्रभक्ति कार्यक्रम में प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता राजेश दीक्षित ने कहा राष्ट्रगीत वंदे मातरम् का एक-एक शब्द हमारे जीवन में नव चैतन्यता, नूतन ऊर्जा और प्रेरणा की जीवनशक्ति का संचार करता है। यह केवल गीत नहीं, अपितु राष्ट्र-आत्मा का स्पंदन है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र कोई निर्जीव भूमि का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक चेतन इकाई, एक सजीव सत्ता है, जिसका कण-कण वंदनीय और तृण-तृण अभिनंदनीय है। भारत की इस पुण्यभूमि का कंकड़-कंकड़ भगवान शंकर की भांति पूज्य है, और यह अनुभूति “वंदे मातरम्” की प्रत्येक पंक्ति में साकार हो उठती है। राजेश दीक्षित ने कहा वंदे मातरम् हमें भारतमाता के त्रिविध स्वरूप, ज्ञानदायिनी माता सरस्वती, समृद्धि प्रदायिनी माता लक्ष्मी और शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा का दिग्दर्शन कराता है। यह राष्ट्रगीत हमारी भक्ति, शक्ति और मुक्ति तीनों का संगम है। उन्होंने स्मरण कराया कि स्वतंत्रता संग्राम के हर चरण में “वंदे मातरम्” ही वह मंत्र था जिसने असंख्य क्रांतिकारियों के हृदय में ज्वाला प्रज्वलित की। इस गीत ने वीरों को फांसी के फंदे को वरण करने, अंडमान की कालकोठरियों में कोल्हू के बैल बनकर तेल पेरने, और मातृभूमि के लिए सर्वस्व अर्पण करने की प्रेरणा दी। दीक्षित ने कहा वंदे मातरम् वह संजीवनी है जिसने मरणांतक परिस्थितियों में भी भारतवासियों को अमर बना दिया। यही गीत आज भी हमें स्मरण कराता है कि भारतभूमि केवल भूमि नहीं, वह हमारी माता है  पूजनीय, वंदनीय और अविनाशी। राष्ट्रीयता से ओतप्रोत इस प्रेरक संबोधन के उपरांत श्री राजेश दीक्षित दैनिक जनजागरण न्यूज़ से रूबरू हुए और कहा कि आज आवश्यकता है “वंदे मातरम्” की भावनाओं को केवल गीत तक सीमित न रखकर जीवन का आधार बनाने की।

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