लखीमपुर खीरी, 08 अक्टूबर। खेतों की मिट्टी से जब रबी की खुशबू उठती है तो किसानों के दिलों में उम्मीदों का मौसम भी खिल उठता है। इसी उम्मीद को और मजबूत करने के लिए इस बार जिला प्रशासन ने किसानों को बड़ी राहत दी है। खेतों में अनाज की सुनहरी लहरें उगाने वाले अन्नदाता को अब खाद की चिंता करने की जरूरत नहीं, क्योंकि जिले में उर्वरकों का भरपूर भंडारण किया जा चुका है।
जिला कृषि अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि जनपद में यूरिया, डीएपी, एनपीके और एसएसपी जैसे सभी आवश्यक उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। किसान अब निश्चिंत होकर बुआई की तैयारियों में जुट सकते हैं। उन्होंने भावुक अपील की “किसान भाई घबराएँ नहीं, ठगी से बचें, केवल निर्धारित दर पर खाद खरीदें और जरूरत भर ही उपयोग करें।”
फसलों की ज़रूरत के अनुसार खाद का चुनाव ही समृद्धि का मार्ग है :
डीएओ ने बताया कि डीएपी, एनपीके और एसएसपी सभी फास्फैटिक उर्वरक हैं, लेकिन हर फसल की अपनी ज़रूरत है। डीएपी से गेहूं-चना को ताकत मिलती है, एनपीके से आलू और गन्ने की जड़ें मजबूत होती हैं, वहीं सल्फर युक्त एसएसपी खासकर सरसों जैसी तिलहन फसलों में सोने पर सुहागा का काम करता है। यही सही चयन भविष्य की फसल को समृद्धि की ओर ले जाता है।
जमाखोरी करने वालों पर गिरेगी गाज
उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि कोई विक्रेता किसानों से अधिक मूल्य वसूलता है या अन्य उत्पाद जबरन थोपता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। यहां तक कि एफआईआर दर्ज कर थोक विक्रेताओं और कंपनियों को भी जवाबदेह ठहराया जाएगा। शिकायत के लिए किसान सीधे कंट्रोल रूम पर कॉल कर सकते हैं।
अनुशंसित खाद मात्रा (प्रति हेक्टेयर)
गेहूं: 5 बोरी यूरिया, 3 बोरी डीएपी, 4 बोरी एनपीके
सरसों: 4 बोरी यूरिया, 3 बोरी डीएपी, 4 बोरी एनपीके
चना/मसूर: 0 यूरिया, 2 बोरी डीएपी, 2 बोरी एनपीके
आलू: 6 बोरी यूरिया, 4 बोरी डीएपी, 4 बोरी एनपीके
गन्ना: 7 बोरी यूरिया, 5 बोरी डीएपी, 6 बोरी एनपीके
किसान की मेहनत और सरकार की व्यवस्था का यह संगम ही आने वाले महीनों में खेत-खलिहानों को हरियाली और अन्न से भर देगा। जब किसान निश्चिंत होकर बोआई करेगा, तभी रबी की सुनहरी बालियाँ खेतों से निकलकर थाली तक पहुँचेगी और हर घर का दीपक अनाज की लौ से जगमगाएगा।
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