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शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

पीएम-किसान: किसानों के सशक्तिकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं के रूपांतरण का भारत का वैश्विक खाका


- डॉ. प्रमोद मेहरदा, अतिरिक्त सचिव एवं अरिंदम मोदक, सलाहकार, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार

समावेशी विकास और ग्रामीण समृद्धि के सफर में, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना, भारत सरकार की एक अग्रणी पहल के रूप में उभर कर सामने आई है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 24 फरवरी 2019 को शुरू की गई, इस पहल ने लाखों छोटे एवं सीमांत किसानों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है और पूरी तरह से डिजिटल, कुशल एवं पारदर्शी प्रणाली के जरिए प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान करने के एक वैश्विक मॉडल के रूप में खुद को स्थापित किया है।

प्रत्यक्ष समर्थन के जरिए किसानों का सशक्तिकरण

मूल रूप से, पीएम-किसान योजना पात्र किसान परिवारों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये की सहायता प्रदान करती है। यह सहायता राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्रणाली के जरिए 2,000 रुपये की तीन बराबर किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में जमा की जाती है। इस सुव्यवस्थित एवं तकनीक-संचालित कदम से बिचौलियों की भूमिका, लाभ मिलने में होने वाली देरी और त्रुटि की गुंजाइश खत्म होती है और एक-एक पाई इच्छित लाभार्थी तक पहुंचना सुनिश्चित होता है।

इस योजना की शुरुआत से लेकर अब-तक, कुल 3.69 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि किसानों को हस्तांतरित की जा चुकी है। इस प्रकार, पीएम-किसान दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल रूप से क्रियान्वित नकद हस्तांतरण कार्यक्रमों में से एक बन गया है। आंकड़ों से परे, यह कदम सब्सिडी से हटकर सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ने संबंधी एक बदलाव का प्रतीक है। बात चाहे बीज की हो या उपकरण या शिक्षा या फिर स्वास्थ्य की, इस योजना से किसानों को यह तय करने की आजादी मिलती है कि वे इस सहायता का सबसे बेहतर इस्तेमाल कैसे करें।

भारत के छोटे किसानों के हित में एक परिवर्तनकारी कदम

दो हेक्टेयर से कम जमीन वाले भारत के 85 प्रतिशत से अधिक किसानों के लिए ये लाभ बुवाई या कटाई के मौसम में एक अहम आर्थिक सेतु का काम करते हैं। ये लाभ अल्पकालिक नकदी प्रवाह के तनाव को कम करते हैं, अनौपचारिक ऋण पर निर्भरता में कमी लाते हैं और संकट के समय एक सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।

वित्तीय सहायता से कहीं बढ़कर, पीएम-किसान योजना समावेशिता, सम्मान और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में एक भागीदार के रूप में किसान की मान्यता का प्रतीक है।

डिजिटल शासन की श्रेष्ठता

पीएम-किसान की सफलता का श्रेय भारत के मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे को जाता है। जेएएम की तिकड़ी - जन धन बैंक खाते, आधार बायोमेट्रिक पहचान और मोबाइल कनेक्टिविटी - ने बड़े पैमाने पर लाभ के निर्बाध वितरण को संभव बनाया है। स्व-पंजीकरण से लेकर भूमि स्वामित्व के सत्यापन और डीबीटी द्वारा समर्थ भुगतान तक, इस पूरी योजना का जीवनचक्र डिजिटल है।

राज्य सरकारों के सहयोग से, पीएम-किसान डिजिटल रूप से समन्वित तथा एक छोर से दूसरे छोर तक आसानी से पहुंचने वाले शासन के एक बेहतरीन मॉडल के रूप में कार्य करता है। इसने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों, लाभार्थियों के डेटाबेस और भुगतान प्रणालियों को सफलतापूर्वक समन्वित किया है और इससे दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में किसान-केन्द्रित एक उत्तम संरचना का निर्माण हुआ है।

पीएम किसान ने कृषि से जुड़े इकोसिस्टम में किसान ई-मित्र वॉयस-आधारित चैटबॉट और एग्री स्टैक जैसी नवीन परियोजनाओं को भी प्रेरित किया है। एग्रीस्टैक व्यक्तिगत, समय पर और पारदर्शी सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार है, जिससे भारतीय कृषि भविष्य की जरूरतों के अनुरूप तैयार हो सके।

वैश्विक मानकों की स्थापना

दुनिया भर में, प्रत्यक्ष लाभ कार्यक्रमों को गरीबी उन्मूलन के कारगर साधनों के रूप में तेजी से मान्यता मिल रही है। फिर भी, पीएम-किसान की कुछ अनूठी विशेषताएं हैं — इसका विशाल आकार, गति और डिजिटल विश्वसनीयता इसे बिखरी हुई कृषि सहायता प्रणालियों में सुधार के लिए प्रयासरत देशों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल बनाती है।

आईएफपीआरआई, एफएओ, आईसीएआर और आईसीआरआईएसएटी जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने छोटे किसानों की आय बढ़ाने, ऋण की सुलभता में सुधार, असमानता को कम करने और आधुनिक कार्यप्रणालियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में पीएम किसान की भूमिका पर प्रकाश डाला है। कई देशों में जारी सशर्त हस्तांतरण के उलट, इसका विश्वास-आधारित व बिना शर्त वाला दृष्टिकोण, सहभागी एवं सम्मान-आधारित कल्याणकारी वितरण की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
ग्रामीण विकास को गति देना

पीएम-किसान का सकारात्मक प्रभाव केवल व्यक्तिगत लाभार्थियों तक ही सीमित नहीं है। इसके तहत होने वाले अनुमानित नकदी प्रवाह ने ग्रामीण बाजारों को पुनर्जीवित किया है, कृषि-उत्पादों की मांग को प्रोत्साहित किया है और घरेलू उपभोग के पैटर्न को मजबूत किया है। इसने महिलाओं को सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, खासकर उन मामलों में जहां बैंक खाते संयुक्त रूप से खोले जाते हैं।

इसके अलावा, यह एक समग्र और परस्पर संबद्ध ग्रामीण विकास इकोसिस्टम का निर्माण करके मृदा स्वास्थ्य कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम फसल बीमा योजना और ई-नाम जैसी अन्य प्रमुख योजनाओं का पूरक है। किसानों के लिए एक पेंशन योजना, पीएम-किसान मानधन योजना के साथ इसका एकीकरण, भारत के कृषि कार्यबल के लिए सामाजिक सुरक्षा जाल बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।

सुनहरे भविष्य का एक दृष्टिकोण

दृढ़ता, समानता और स्थिरता: पीएम-किसान एक वित्तीय सहायता तंत्र से कहीं बढ़कर है। यह भारत सरकार के किसानों के नेतृत्व वाले विकास का एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है। अधिकार से सशक्तिकरण की ओर, सहायता से स्वायत्तता की ओर स्थानांतरित होकर, यह राज्य और किसान के बीच अनुबंध को नए सिरे से परिभाषित करता है। 

भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रखता है, ऐसे में पीएम-किसान जैसी पहल समावेशी प्रगति की नींव रखती है। उन्नत तकनीकों के निरंतर एकीकरण और जलवायु परिवर्तन के प्रति दृढ़ता, स्थिरता और सटीक कृषि पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, यह योजना बदलाव की दिशा में एक बेहद शक्तिशाली कदम के रूप में विकसित होने के लिए तैयार है।

पीएम-किसान विश्वास, तकनीक और परिवर्तन की कहानी है। यह दुनिया के लिए भारत का योगदान है। यह योजना एक जीवंत उदाहरण है कि कैसे एक दूरदर्शी नीति, डिजिटल नवाचार और राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ मिलकर, लाखों लोगों को सशक्त बना सकती है और 21वीं सदी के शासन को नए सिरे से परिभाषित कर सकती है।

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