कौशाम्बी जनपद में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें मार्च महीने में रेलवे ट्रैक पर मिली एक क्षत-विक्षत महिला की लाश को अपनी अपहृत बेटी बताकर हंगामा करने वाले परिवार की लड़की रेखा (काल्पनिक नाम) तीन महीने बाद जिंदा बरामद हुई है। दिनांक 20 मार्च 2025 को थाना कोखराज में एक महिला ने सूचना दी कि उसकी 16 वर्षीय बेटी रेखा को आरोपी विष्णु कुमार बहला-फुसला कर भगा ले गया है। मामला दर्ज होते ही पुलिस ने खोजबीन शुरू की, लेकिन इसी बीच 18 मार्च को भरवारी और बिदनपुर के बीच रेलवे ट्रैक पर एक अज्ञात महिला की क्षत-विक्षत लाश मिली। पहचान नहीं होने पर नियमानुसार शव को पोस्टमार्टम के बाद लावारिस मानते हुए अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन 22 मार्च को अपहृता के परिजन थाने पहुंचे और दावा किया कि रेलवे लाइन पर मिला शव उनकी बेटी रेखा का ही है। इसके बाद परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया व न्यूज़ चैनलों पर जमकर हंगामा किया।
डीएनए जांच रिपोर्ट लंबित, पुलिस ने नहीं मानी तत्काल पहचान हालांकि पुलिस ने DNA सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा था, जिसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। बावजूद इसके परिजनों द्वारा बिना ठोस वैज्ञानिक आधार के शव को अपनी बेटी का बताकर शिनाख्त कर ली गई थी।
करीब तीन महीने बाद 20 मई को पुलिस को सूचना मिली कि रेखा अपने भाई से इंस्टाग्राम वीडियो कॉल पर बात कर रही है। साइबर क्राइम सेल और सर्विलांस की मदद से लोकेशन ट्रेस कर 29 जून को रेखा को शहजादपुर के टेडीमोड़ से सकुशल बरामद कर लिया गया। परिजनों ने भी लड़की की पहचान कर ली है।
अब खड़े हो रहे बड़े सवाल...
1. रेलवे ट्रैक पर मिली लाश किसकी थी। अगर रेखा जीवित है, तो 18 मार्च को मिली क्षत-विक्षत लाश किस युवती की थी क्या उसकी पहचान अब हो पाएगी।
2. परिजनों ने बिना पुष्टि कैसे शव को अपनी बेटी बताया, क्या यह भावनात्मक दबाव था या कुछ और बिना DNA रिपोर्ट के शिनाख्त कैसे की गई
3. क्या पुलिस ने शव की पहचान में गलती की या दबाव में निर्णय लिया।
गौरतलब है कि रेलवे लाइन पर मिली लड़की की डेड बॉडी आखिर किसकी है मामले में क्या वास्तव में लड़की की हत्या हुई थी या दुर्घटना है। अज्ञात शव की मृत्यु के कारण और उसकी पहचान अब पुलिस के सामने एक नई चुनौती है। वहीं पुलिस का कहना है कि DNA सैंपल की रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है और गुमशुदा लड़की के जीवित मिलने से एक निर्दोष व्यक्ति को हत्या जैसे गंभीर अपराध में जेल जाने से बचा लिया गया।मामले में आगे की विधिक कार्यवाही जारी है। इस मामले ने न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि परिवार की जल्दबाज़ी और सोशल मीडिया के असर को भी उजागर किया है। सबसे बड़ी चिंता अब यह है कि रेलवे ट्रैक पर मिली वह लाश आखिर किसकी थी? क्या कोई और परिवार अभी भी अपनी बेटी की तलाश में है।
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