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शुक्रवार, 18 जुलाई 2025

पंडित दीनदयाल उपाध्याय सरस्वती विद्या मंदिर में वेश एवं बस्ता प्रतियोगिता का भव्य आयोजन

🔘 प्रतिभा के रंग और सलीके का संगम बनी प्रतियोगिता, नन्हे प्रतिभागियों ने दिखाया अद्भुत कौशल


लखीमपुर खीरी, 18 जुलाई 2025। जब हुनर को मंच मिलता है और प्रतिभा को पहचान, तब शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण का उत्सव बन जाती है। ऐसा ही एक दृश्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज (सीबीएसई बोर्ड) में देखने को मिला, जहां वेश एवं बस्ता प्रतियोगिता का आयोजन न केवल बाल प्रतिभाओं का प्रदर्शन बना, बल्कि संस्कार, अनुशासन और रचनात्मकता का अद्वितीय संगम भी रहा।

कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक भारतीय संस्कृति के अनुरूप मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ, जिसे मुख्य अतिथि लायंस क्लब जेसीज एवं विद्यालय की विद्वत परिषद के मंत्री राम मोहन गुप्त तथा विद्यालय के प्राचार्य अरविंद सिंह चौहान ने संयुक्त रूप से संपन्न किया।

 वेश प्रतियोगिता में जिन छात्र-छात्राओं ने प्रथम स्थान प्राप्त कर विद्यालय का गौरव बढ़ाया, वे हैं साक्षी जायसवाल, सानिध्य पांडे, स्तुति तिवारी, हर्ष गुप्ता, कौस्तुभ दीक्षित, आयुष्मान राठौर एवं सजल मिश्रा। बस्ता प्रतियोगिता में साज-सज्जा, सुव्यवस्था एवं नवीनता के आधार पर श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागी रहे भाव्या त्रिपाठी, शर्मिष्ठा जायसवाल, आदित्य मौर्य, अपूर्वा सक्सेना, परिधि राज, समृद्धि शुक्ला, अंश गुप्ता एवं विवान मिश्रा। 

मुख्य अतिथि श्री राम मोहन गुप्त ने अपने उद्बोधन में कहा गुरु केवल पाठशालाओं में नहीं मिलते, जीवन के प्रत्येक मोड़ पर माता-पिता, मित्र और आत्मबोध भी हमें सच्चा ज्ञान दे सकते हैं। जो विद्यार्थी अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार होता है, सफलता उसका वरण करती है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे केवल अकादमिक प्रदर्शन तक सीमित न रहें, बल्कि आत्मविकास, स्वानुशासन और निरंतर अभ्यास को अपना जीवन सूत्र बनाएं। 

विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री अरविंद सिंह चौहान ने समस्त प्रतिभागियों को बधाई देते हुए मुख्य अतिथि के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, सृजनात्मकता और जीवन कौशल का विकास करती हैं। विद्यालय सदैव प्रयासरत रहेगा कि छात्रों को मार्गदर्शक स्वरूप प्रेरक व्यक्तित्वों से जोड़ता रहे। कार्यक्रम की सफलता में विद्यालय परिवार के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं, अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं की उल्लेखनीय भूमिका रही।

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