लखीमपुर खीरी। ज्ञान के दीप से अज्ञानता के तम को मिटाने वाले आचार्य और आचार्याएं जब स्वयं नवीनतम जानकारी से परिपूर्ण हों, तभी सच्चे अर्थों में शिक्षा का उजाला समाज को दिशा प्रदान करता है। इसी प्रेरणा को मूर्त रूप देने हेतु आज दिनांक 30 जून 2025, दिन सोमवार को मासांत दिवस पर एक विशेष आचार्य/आचार्या दक्षता वर्ग का आयोजन विद्यालय परिसर में किया गया।
यह कार्यक्रम न केवल शिक्षण कौशल को निखारने का माध्यम बना, बल्कि शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नवीन शैक्षणिक दृष्टिकोण से भी परिचित कराया। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय की सम्माननीय प्रधानाचार्या शिप्रा बाजपेई द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। यह अनुष्ठान न केवल एक परंपरा का निर्वहन था, अपितु ज्ञान के प्रति श्रद्धा का सजीव प्रतीक भी। सरस्वती वंदना के श्लोकों के उच्चारण में नाद और लय की गूंजती स्वर-लहरियों ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। साथ ही श्लोकों के भावों की सुंदर व्याख्या ने सभी शिक्षकों को भाषा और भाव के मध्य सेतु की अनुभूति कराई। इस सत्र में पंचपदी शिक्षण पद्धति को विस्तार से प्रस्तुत किया गया। आदर्श शिक्षण कक्षाओं के माध्यम से आचार्या शिवि गुप्ता एवं हर्षिता बरनवाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत नवाचारपूर्ण शिक्षण का प्रभावशाली प्रदर्शन किया, जो सभी आचार्य/आचार्याओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। राष्ट्र सेविका समिति की शाखा के अंतर्गत नमिता विश्वास द्वारा नीति वाक्य और अमिता द्वारा प्रेरणास्पद बोध कथा प्रस्तुत की गई। तत्पश्चात खेलों के आयोजन में शिक्षकों ने तन-मन से सहभागिता निभाकर अपनी ऊर्जा और उत्साह का परिचय दिया। चतुर्थ चरण में एल.टी.एम. (Learning and Teaching Material) की कार्यशाला में आचार्या राखी मिश्रा एवं नम्रता दीक्षित के मार्गदर्शन में शिक्षकों ने अपने विषयों पर आधारित शैक्षिक प्रोजेक्ट तैयार किए। यह सत्र न केवल ज्ञान का अनुप्रयोग था, बल्कि शिक्षण में सृजनात्मकता का सशक्त उदाहरण भी। कुलमिलाकर यह दक्षता वर्ग केवल एक प्रशिक्षण नहीं, अपितु शिक्षकों के व्यक्तित्व और कौशल को संवारने का एक पवित्र यज्ञ था। यह दिन स्मृति-पटल पर एक सुनहरे अध्याय के रूप में अंकित रहेगा, जहाँ शिक्षा ने स्वयं शिक्षकों के माध्यम से अपने नए स्वरूप की यात्रा प्रारंभ की।
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