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गुरुवार, 1 मई 2025

Lmp. परशुराम जयंती पर प्रगतिशील ब्राह्मण महासभा का भव्य आयोजन

● परशुराम जयंती : संस्कृति, समर्पण और सेवा का संगम

लखीमपुर खीरी। यह दिन केवल एक तिथि नहीं थी, एक चेतना थी संस्कृति के पुनर्जागरण की, आत्मबल की और सनातन मूल्य बोध की। भगवान परशुराम जयंती के पावन अवसर पर प्रगतिशील ब्राह्मण महासभा द्वारा शिव कालोनी, बेहजम रोड स्थित प्रगतिशील ब्राह्मण धर्मशाला में ऐसा आयोजन हुआ, जिसने श्रद्धा, एकता और सेवा की त्रिवेणी प्रवाहित कर दी। सवेरे से ही श्रद्धालुओं की पावन उपस्थिति धर्मशाला को एक तीर्थ में परिवर्तित कर रही थी। दीपों की लौ, मंत्रों की स्वर लहरियाँ और भक्ति संगीत की मधुर तरंगें वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर रही थीं। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो स्वयं परशुराम चेतना बनकर जन-जन में जाग्रत हो उठे हों।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, नगर पालिका परिषद गोला के यशस्वी अध्यक्ष विजय कुमार शुक्ला 'रिंकू' और विशिष्ट अतिथि धौरहरा विधायक विनोद शंकर अवस्थी ने जब मंच से समाज की एकता और परशुराम के आदर्शों पर प्रकाश डाला, तो उपस्थित जनमानस में चेतना की एक नई लहर दौड़ गई। उन्होंने कहा भगवान परशुराम कोई केवल एक ऐतिहासिक महापुरुष नहीं, वे साहस, न्याय और धर्म की वह ज्वाला हैं जो पीढ़ियों को दिशा देती है। संस्था के अध्यक्ष नंद कुमार मिश्रा, उपाध्यक्ष रमेश चंद्र शुक्ला, महामंत्री कुमुदेश शंकर शुक्ल, संस्थापक राघव राम तिवारी, संरक्षक बृज लाल मिश्रा, संगठन मंत्री अभिषेक अवस्थी समेत अनेक समर्पित पदाधिकारियों की मेहनत और संगठनशक्ति आयोजन में स्पष्ट परिलक्षित हो रही थी। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन तिवारी की ओजस्वी वाणी ने भावविभोर कर दिया। आरती उपरांत आयोजित विशाल भंडारे में जब श्रद्धालु पंक्तिबद्ध होकर प्रसाद ग्रहण कर रहे थे, तब यह कोई साधारण भोज नहीं था, यह सेवा, समर्पण और संस्कारों का एक जीवंत चित्र था। महिलाएँ, वृद्ध, युवा सभी के चेहरों पर तृप्ति की आभा झलक रही थी।  इस आयोजन ने एक बार फिर सिद्ध किया कि जब समाज जागता है, तो संस्कृति भी मुस्कुराती है। ब्राह्मण समाज की एकता, गरिमा और जागरूकता को यह आयोजन एक नई दिशा, नई प्रेरणा दे गया। संस्था ने यह संकल्प लिया कि भविष्य में भी इसी प्रकार के आयोजन न केवल जारी रहेंगे, बल्कि और अधिक व्यापक स्वरूप में होंगे—जिससे समाज की जड़ें और गहरी, और मजबूत हों। यही भगवान परशुराम हैं, संघर्ष में तप, और सेवा में धर्म।

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