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बुधवार, 14 मई 2025

भारतीय सैनिकों की ढाल बना है 'सीमा माता' मन्दिर

नई दिल्ली आपरेशन सिन्दूर के बाद राजस्थान के जैसलमेर स्थित तनोट माता का मंदिर एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। जैसलमेर में तीन दिन ब्लैकआउट के दौरान सैनिकों ने मंदिर में आरती कर मां से स्वयं और सीमाओं की रक्षा के लिए मन्नत माँगीं।ऐसा विश्वास है कि माता ने अब तक के सभी युद्ध में भारतीय सैनिकों और इलाके की रक्षा की है। आज़ादी के बाद से अब तक भारत और पाकिस्तान तीन बार 1947, 1965 और 1971 में युद्ध लड़ चुके हैं और हर जंग में तनोट माता मंदिर अपने अद्भुत चमत्कारों के लिए जाना गया। तनोट गांव भारत-पाकिस्तान सीमा से महज 20 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर सीमा सुरक्षा बल की निगरानी में है और इसके सारे प्रबंधन की जिम्मेदारी भी बीएसएफ के पास है। यहां तैनात जवान इस मंदिर को 'सीमा माता' मानते हैं। हर युद्ध, ऑपरेशन या मिशन से पहले वे मंदिर में मत्था टेककर आशीर्वाद लेते हैं।
1965 के भारत-पाक युद्ध में तनोट क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना ने भारी बमबारी की। लेकिन चमत्कार यह था कि करीब 3000 बम मंदिर और उसके आस-पास गिराए गए, लेकिन एक भी बम फटा नहीं। इनमें से लगभग 450 बम मंदिर परिसर के भीतर गिरे थे। यह चमत्कार सैनिकों की आस्था को और दृढ़ कर गया। यही नहीं, 1971 की जंग में भी जब पाकिस्तान ने दोबारा तनोट को निशाना बनाया, तब भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।इन बमों को आज भी मंदिर परिसर में बने एक संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है, जो इन चमत्कारों की गवाही देते हैं। यह स्थान आज न केवल धार्मिक श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि भारतीय वीरता और आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है। तनोट माता के चमत्कारों से पाकिस्तानी अफसर भी प्रभावित हैं। एक बार पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान तक ने भारत सरकार से मंदिर के दर्शन की अनुमति मांगी और इसके लिए उन्हें करीब ढाई साल की प्रतीक्षा के बाद इजाज़त मिली, तो उन्होंने मंदिर में चांदी का छत्र चढ़ाया। यह छत्र आज भी मंदिर में रखा हुआ है और उस घटना का गवाह बना हुआ है।

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