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रविवार, 18 मई 2025

राष्ट्रगौरव पर उठे सवाल को लेकर भड़के भाजपा नेता अनिल पंडित बोले, बांध दो गद्दारों को ब्रह्मोस पर!

🔘 धूप बनकर हर अंधेरे में चमके राष्ट्रवाद के सजग प्रहरी, समाज सेवा के अग्रदूत अनिल पंडित

जनजागरण न्यूज। जब कोई बालक अपने गांव गली की धूल से उठकर राष्ट्र की सेवा का संकल्प लेता है, जब उसका हृदय समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति के लिए धड़कता है, और जब उसके विचारों में हिंदू संस्कृति की ज्योति प्रज्वलित हो तब वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं रहता, वह समाज का दीप बन जाता है। ऐसे ही एक दीप हैं अनिल पंडित, जिन्हें गौतम बुद्ध नगर "प्रवीण तोगड़िया" के नाम से जानता है।

अनिल पंडित कोई आम नेता नहीं हैं। वे उस मिट्टी से जन्मे हैं, जिसमें संघर्ष की गंध है, त्याग की तपिश है, और सेवा की सोंधी सुवास है। छात्र जीवन से ही उन्होंने जिस वैचारिक यात्रा की शुरुआत की थी, वह आज एक वटवृक्ष बन चुकी है, जिसकी छांव में न केवल पार्टी के कार्यकर्ता, बल्कि समाज के हजारों लोग सुकून पाते हैं। संघ के संस्कारों में पले बढ़े अनिल पंडित ने स्कूल और कॉलेज में नेतृत्व की अलख जगाई, और युवावस्था में ही यह तय कर लिया कि उनका जीवन समाज, राष्ट्र और धर्म की सेवा को समर्पित रहेगा। राजनीति उनके लिए सत्ता का साधन नहीं, बल्कि सेवा का सशक्त माध्यम है। वर्ष 2005 में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के रूप में जिला पंचायत का चुनाव लड़ा, यह केवल एक चुनाव नहीं था, बल्कि यह जनता के विश्वास की पहली परीक्षा थी, जिसे उन्होंने निष्ठा और जनसमर्पण से पार किया। इसके बाद उनका राजनीतिक सफर कभी रुका नहीं। उन्होंने हर जिम्मेदारी को संकल्प बना लिया, हर कठिनाई को अवसर में बदला और हर जनसमस्या को समाधान का रूप देने का संकल्प लिया। आज वे केवल एक पूर्व भाजपा जिला उपाध्यक्ष नहीं हैं वे एक विचारधारा, एक जनभावना और एक समर्पणशील नेतृत्व का नाम बन चुके हैं। उनकी वाणी में ओज है, विचारों में तेज है, और कार्यों में सामाजिक सरोकारों की स्पष्ट झलक है। 

जब कांग्रेस विधायक कोथूर मंजूनाथ के बयान से राष्ट्र की भावनाएं आहत हुईं, तो अनिल पंडित ने बिना किसी संकोच के कहा ऐसे लोगों को ब्रह्मोस मिसाइल पर बांधकर पाकिस्तान भेज देना चाहिए, ताकि उन्हें समझ आ सके कि ऑपरेशन सिंदूर क्या था और भारत की सेना का पराक्रम क्या होता है। यह केवल शब्द नहीं थे, यह उस राष्ट्रभक्त का आक्रोश था, जो अपने देश के मान-सम्मान पर किसी भी तरह की चोट सहन नहीं कर सकता। अनिल पंडित की पहचान अब किसी एक समाज तक सीमित नहीं रही। वे हर उस व्यक्ति की आशा बन चुके हैं, जो न्याय चाहता है, सम्मान चाहता है और अपने धर्म सभ्यता की रक्षा चाहता है। ब्राह्मण समाज उन्हें अपना गौरव मानता है, तो हिंदू युवा उन्हें अपना मार्गदर्शक। गौतम बुद्ध नगर की धरती धन्य है, जिसने अनिल पंडित जैसा सपूत दिया। और आने वाली पीढ़ियों के लिए वे एक उदाहरण हैं कि कैसे साधारण जीवन से उठकर, असाधारण समाज सेवा की इबारत लिखी जा सकती है। कुलमिलाकर  नेता वो नहीं होता जो सिर्फ मंच पर भाषण दे, नेता वो होता है जो समय पर हाथ थामे। अनिल पंडित वही नेता हैं जो शब्दों से नहीं, कर्मों से पहचाने जाते हैं।

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