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सोमवार, 5 मई 2025

संवाद, समाधान और संकल्प की नई पहचान बना खीरी जनपद का अटल सभागार

लखीमपुर खीरी, 05 मई। कभी एक साधारण सभागार की चुप्पी में खोए प्रशासनिक कदम, आज प्रेरणा की ध्वनि में गूंज रहे हैं। जनपद लखीमपुर खीरी का कलेक्ट्रेट परिसर आज अपने भीतर इतिहास, विचार और भविष्य की दिशा समेटे खड़ा है, एक नव्य संरचना के रूप में, जिसका नाम है ‘अटल सभागार’।
यह महज़ एक कक्ष नहीं, यह वो स्थान है जहां अब नीतियाँ आकार लेंगी, समस्याओं के समाधान गूंजेंगे और लोकसेवा का संकल्प नई ऊर्जा पाएगा।

जब विचारों को मिली आवाज़, और संवाद को मिला मंच

सोमवार को जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने जैसे ही ‘अटल सभागार’ का उद्घाटन किया, मानो एक नवीन अध्याय का सूत्रपात हुआ। उनके साथ प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी और व्यवस्था के हर उस स्तंभ ने कदम रखा, जो इस परिवर्तन का हिस्सा बना।

नामकरण अर्पित हुआ उस महान विभूति को, जिनका हर शब्द देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की धरोहर है भारत रत्न, अटल बिहारी वाजपेयी। डीएम ने कहा यह सभागार अटल जी की विचारशीलता और उनकी संवाद परंपरा से प्रेरित होकर प्रशासनिक कार्यसंस्कृति का प्रतीक बनेगा।

यह शब्द नहीं, संकल्प थे जो हवा में तैरते नहीं, ज़मीन पर उतरते हैं।

दीवारों पर लखीमपुर की आत्मा, संरचना में राष्ट्र की प्रेरणा

‘अटल सभागार’ की दीवारें अब केवल रंगों से नहीं, जनपद की आत्मा से सजी हैं। दुधवा नेशनल पार्क की हरियाली, गोला गोकरननाथ की आध्यात्मिकता, मेंढक मंदिर की अनोखी विरासत सब यहाँ जीवित प्रतीत होती हैं। साथ ही अटल जी और महापुरुषों की तस्वीरें, हर बैठक को प्रेरणा का आयाम देती हैं।

तकनीक की आधुनिकता, परंपरा की गरिमा

अत्याधुनिक साउंड सिस्टम, वातानुकूलन, डिजिटलीकरण और सुसज्जित बैठक व्यवस्था यह सब दर्शाते हैं कि प्रशासन अब विचारों को केवल बोलता नहीं, उन्हें सुनता भी है। सभागार अब प्रशिक्षणों, योजनाओं, संवादों और जन-संवादों का जीवंत केंद्र बनेगा।

मिठाई नहीं, उपलब्धि की मिठास बांटी गई

कार्यक्रम के अंत में जब डीएम ने कलेक्ट्रेट कर्मियों को मिठाई खिलाई, तो वह केवल रस्म नहीं थी वह उस श्रम, समर्पण और सहयोग की मान्यता थी, जिसने एक साधारण कक्ष को असाधारण ‘अटल सभागार’ बना दिया।

और इस तरह लखीमपुर खीरी के प्रशासन को मिली एक नई धड़कन अटल, अडिग और अद्वितीय।

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