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सोमवार, 5 मई 2025

Lmp. नगर निकायों की बैठक में डीएम खीरी की तत्परता ने भीषण गर्मी और जल संकट के बीच रोपा राहत का विश्वास

लखीमपुर खीरी, 05 मई। भीषण धूप की तपिश जब जनजीवन को झुलसाने लगे और बादलों की आहट जलभराव का भय साथ लाए, तब किसी छांव की सबसे अधिक ज़रूरत होती है संवेदनशील नेतृत्व की छांव, जो समय से पहले बुन ले सुरक्षा का कवच। जनपद लखीमपुर खीरी में डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल की पहल ऐसी ही एक छांव बनकर उभरी है, जहां प्रशासन केवल आदेश नहीं देता, बल्कि जनता की पीड़ा को आत्मा से महसूस करता है।
सोमवार को ‘अटल सभागार’ में हुई नगर निकायों की समीक्षा बैठक महज़ एक औपचारिक चर्चा नहीं थी, बल्कि वह संवाद था, जो हर उस चेहरे की चिंता से उपजा था, जिसे गर्मी में पानी चाहिए और बरसात में सूखी ज़मीन।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए डीएम नागपाल ने स्पष्ट किया कि नालों की गहराई में केवल पानी नहीं, जनता की उम्मीदें बहती हैं। इसीलिए उन्होंने सभी नगर निकायों को निर्देशित किया कि जलभराव से बचाव हेतु नालों की गहन सफाई बिना किसी कोताही के पूर्ण हो। हर ईओ से उन्होंने कहा काम को अपनी निगरानी में कराइए, क्योंकि जनता आपकी निगाह से व्यवस्था का चेहरा पढ़ती है।
भीषण गर्मी के बीच जब प्यास शरीर से नहीं, आत्मा से उठती है, तब ठंडा पानी सिर्फ राहत नहीं, करुणा बन जाता है। डीएम ने निर्देश दिए कि सार्वजनिक स्थलों पर शीतल पेयजल की व्यवस्था, और हीटवेव से बचाव हेतु जागरूकता कार्यक्रम तत्काल संचालित हों। यह केवल शासकीय कार्य नहीं, सेवा की वह परंपरा है जो जनता की सांसों में भरोसा भरती है।
बैठक में डीएम की दृष्टि केवल शहर तक सीमित नहीं रही। ग्राम पंचायतों की उपेक्षित आवाज़ भी इस बैठक की मुख्य धुरी बनी। उन्होंने डीपीआरओ को निर्देश दिए कि खराब हैंडपंपों की तत्काल मरम्मत कराई जाए, और बाढ़ संभावित गांवों में ऊंचे हैंडपंपों की स्थापना कर यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई परिवार संकट की घड़ी में प्यासा न रह जाए।
बैठक में सीडीओ अभिषेक कुमार, एडीएम संजय सिंह, डीडीओ दिनकर विद्यार्थी, और सभी निकायों के अधिशासी अधिकारी उपस्थित रहे।
यह संवाद केवल योजनाओं की समीक्षा नहीं था, यह वह क्षण था जब प्रशासन एक परिवार बनकर जनता के लिए सोच रहा था।
कुलमिलाकर लखीमपुर खीरी का प्रशासन अब सिर्फ व्यवस्था नहीं, एक जीवंत संकल्प है जहां हर निर्णय में जनहित की गूंज है, और हर कार्य में सेवा की छाया। ‘अटल सभागार’ अब योजनाओं का मंच नहीं, जनभावनाओं का मंदिर बन चुका है।

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