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गुरुवार, 22 मई 2025

सनातन संस्कृति और कायस्थ स्वाभिमान का ऐतिहासिक पुनर्जागरण, कर्बला चौराहा बना श्री चित्रगुप्त चौराहा

● प्रयागराज की भूमि पर संस्कृति, आस्था और स्वाभिमान का नया प्रकाशस्तंभ होगा चित्रगुप्त चौराहा

प्रयागराज। प्रयागराज की पुण्यभूमि, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है, वहीं अब एक और आध्यात्मिक संगम ने आकार लिया है, आस्था, संस्कृति और समाज के स्वाभिमान का संगम। नगर निगम सदन की उपाध्यक्ष सुनीता दरबारी के सतत प्रयासों से कर्बला चौराहा अब “चित्रगुप्त चौराहा” के पावन नाम से अलंकृत होने जा रहा है।
यह केवल एक नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि कायस्थ समाज के आत्मसम्मान और सनातन परंपरा के पुनर्जागरण का प्रतीक है। महापौर गणेश केसरवानी तथा समस्त पार्षदों की सर्वसम्मति से पारित इस प्रस्ताव ने प्रयाग की माटी में गर्व का बीज रोपित कर दिया है। यह वही प्रयाग है, जहां धर्म का मंथन होता है, और अब यहां भगवान चित्रगुप्त की 12 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित होकर कर्म की चेतना का संदेश देगी। मान्यता हैं कि भगवान चित्रगुप्त लेखनी के देवता हैं, वो जो हमारे हर कर्म का सूक्ष्म लेखा रखते हैं। उनका स्मरण केवल कायस्थ समाज के लिए ही नहीं, समस्त मानवता के लिए आत्मनिरीक्षण और धर्मपालन का आह्वान है। इस ऐतिहासिक निर्णय पर जब समाज के प्रतिनिधियों ने सुनीता दरबारी के घर जाकर उन्हें मालाओं, श्रीफल और आदर सम्मान से विभूषित किया, तब केवल एक व्यक्ति का नहीं, समूचे समाज का आत्मसम्मान पुष्पित हुआ। व्यापार मंडल अध्यक्ष स्वाति निरखी ने इस क्षण को समाज की वर्षों की प्रतीक्षा का फल बताया और कहा यह केवल चित्रगुप्त चौराहा नहीं, हमारी संस्कृति की नई पहचान है। आज समाज जागा है, जुड़ा है, और एक साथ गर्व से खड़ा है। पूर्व पार्षद रोचक दरबारी ने हृदयस्पर्शी भावों में कहा चित्रगुप्त केवल हमारे देव नहीं, वे जीवन के कर्म-धर्म का दर्पण हैं। यह निर्णय आने वाली पीढ़ियों को धर्म की चेतना से जोड़ने वाला है। इस उत्सव के साक्षी बने प्रयागराज के दर्जनों गणमान्य नागरिक कल्पना श्रीवास्तव, पवन श्रीवास्तव, मनीष श्रीवास्तव, सूक्ति सौरभ माथुर, एडवोकेट नीरज सिन्हा, राहुल निरखी, रंजना, मीनाक्षी, अनामिका, मंजरी, चित्रांशी, रीता, संजय सक्सेना और अनेकों समाजसेवी, जिन्होंने इस क्षण को एक आंदोलन नहीं, एक आध्यात्मिक उत्सव की तरह मनाया। यह चित्रगुप्त चौराहा अब केवल एक मार्ग नहीं दिखाएगा, यह पीढ़ियों को कर्म, धर्म और संस्कृति की दिशा बताएगा। प्रयागराज अब चित्रगुप्त की छाया में और अधिक पुण्य, गरिमा और चेतना के साथ आगे बढ़ेगा।

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